क्या मध्य प्रदेश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर 14 हजार कैदियों की सजा कम हुई?

सारांश
Key Takeaways
- 60 दिन की सजा में कमी सामान्य अपराधों के कैदियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत है।
- मुख्यमंत्री मोहन यादव का निर्णय सुधारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- भगवान श्री कृष्ण से जुड़े स्थलों का विकास श्री कृष्ण पाथेय न्यास द्वारा किया जाएगा।
भोपाल, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। श्री कृष्ण जन्माष्टमी ने भोपाल के जिलों में बंद 14 हजार कैदियों के लिए एक विशेष उपहार प्रदान किया है, क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार ने इन कैदियों की सजा में 60 दिन की कमी की है। ये सभी सामान्य अपराधों के मामलों में आरोपी हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह जानकारी दी कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर, प्रदेश की जेलों में दंडित बंदियों को सजा में लगभग 60 दिन की रियायत देने के लिए जेल विभाग को निर्देशित किया गया है। इसमें आतंकवादी गतिविधियों, लैंगिक अपराधों, और हत्या के गंभीर आरोपियों को शामिल नहीं किया गया है। इससे 21 हजार बंदियों में से लगभग 14 हजार को लाभ होगा।
वास्तव में, राज्य सरकार गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसरों पर सामान्य अपराधों में लंबी सजा काट चुके कैदियों को कुछ रियायत देती है। इसी क्रम में, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जन्माष्टमी के अवसर पर कैदियों को यह महत्वपूर्ण राहत दी है। एक तरफ कैदियों की सजा में छूट दी गई है, वहीं राज्य सरकार भगवान श्री कृष्ण से संबंधित यादों को संरक्षित करने के लिए लंबे समय से प्रयासरत है।
इसी संदर्भ में, राज्य सरकार ने भगवान श्री कृष्ण से संबंधित स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित करने हेतु मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियम 1951 के अंतर्गत "श्री कृष्ण पाथेय न्यास" के गठन को मंजूरी दी है। इसके तहत भगवान श्री कृष्ण से संबंधित क्षेत्रों का साहित्यिक और सांस्कृतिक संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा।
न्यास द्वारा भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों एवं संरचनाओं का प्रबंधन, सांदीपनि गुरुकुल की स्थापना के लिए परामर्श, सुझाव, और श्री कृष्ण पाथेय के स्थलों का सामाजिक, आर्थिक और पर्यटन की दृष्टि से विकास, पुस्तकालय, संग्रहालय की स्थापना आदि गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाएगा। श्री कृष्ण पाथेय न्यास के उद्देश्यों में मध्य प्रदेश में भगवान श्री कृष्ण के चरणों के स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करना और सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझाने के लिए संबंधित क्षेत्रों का प्रलेखन, अभिलेखन, छायांकन, फिल्मांकन और चित्रांकन करना शामिल है।