क्या माघ मेले में पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीकी का होगा इस्तेमाल?

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क्या माघ मेले में पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीकी का होगा इस्तेमाल?

सारांश

प्रयागराज के माघ मेले में पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीकी का उपयोग किया जाएगा, जिससे बिजली संबंधी समस्याओं का त्वरित समाधान संभव होगा। जानिए इस तकनीक के पीछे का उद्देश्य और मेले में बिजली व्यवस्था की नई पहल।

Key Takeaways

  • स्कैन टू फिक्स तकनीक का उपयोग बिजली समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए किया जाएगा।
  • बिजली विभाग ने 350 किमी लंबी एलटी लाइन बिछाई है।
  • मेले में 32 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है।
  • 15,000 से अधिक बारकोड लगाए जाएंगे।
  • मेले में 25,000 से अधिक एलईडी लाइट्स लगाई जाएंगी।

प्रयागराज, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संगम के किनारे 3 जनवरी से आयोजित होने वाले आस्था के महापर्व माघ मेले में सभी विभाग अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। बिजली विभाग 800 हेक्टेयर में फैले इस मेले में निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए आवश्यक कार्य कर रहा है।

इस बार विभाग ने कई नवोन्मेष किए हैं। त्रिवेणी के तट पर 44 दिनों तक चलने वाले इस मेले में संगम की रेत पर तंबुओं का एक अस्थायी शहर बसाने की योजना है। तंबुओं के इस शहर को रोशन करने के लिए बिजली विभाग ने अपनी तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। बिजली विभाग के अधिशाषी अभियंता (माघ मेला) अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि इस बार माघ मेले में 350 किमी लंबी एलटी लाइन बिछाई जाएगी, जिसमें से 320 किमी का कार्य पूरा हो चुका है। मेले में 7.5 लाख विद्युत कनेक्शन देने के साथ-साथ 24x7 बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए नए प्रयास किए गए हैं।

माघ मेले में विद्युत आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। मेले से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, इस तकनीक के तहत विद्युत विभाग ने माघ मेले में पहली बार हाईटेक बारकोड सिस्टम लागू किया है, जिससे बिजली से जुड़ी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जा सकेगा।

अधिशाषी अभियंता अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि मेला क्षेत्र में लगाए गए प्रत्येक खंभे, लाइन और कनेक्शन पर विशेष बारकोड लगाए जाएंगे, जिन्हें स्कैन करते ही बिजली कर्मचारी सीधे कंट्रोल रूम से समस्या की जानकारी प्राप्त कर लेंगे और त्वरित समाधान करेंगे।

इसका एक और पहलू यह है कि श्रद्धालु अपनी लोकेशन पहचान सकेंगे और भटकने की स्थिति में अपने परिवार या गंतव्य तक आसानी से पहुंच जाएंगे। मेले की अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी यह तकनीक प्रभावी होगी। क्यूआर कोड स्कैन कर गूगल फॉर्म भरने से मिली जानकारी से बिजली संबंधी शिकायतों के साथ ही पानी की कमी या टूटी सड़कों जैसी समस्याएं भी दर्ज की जा सकेंगी। मेला क्षेत्र में 15 हजार से अधिक ऐसे बारकोड लगाए गए हैं। बिजली गुल होने से बचने के लिए 5 रिंग मेन यूनिट लगाई जा रही हैं, जबकि पिछले मेले में केवल 1 थी, इससे 10 सेकंड में बिजली बहाल हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि माघ मेला में विद्युत व्यवस्था के लिए 32 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, जो पिछले मेले की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। इस मेले में 47 किमी एचटी और 350 किमी एलटी लाइनें बिछाई जाएंगी, साथ ही 25 बड़े और 35 छोटे सबस्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें तीन-लेयर पावर बैकअप सिस्टम होगा।

पूरे माघ मेले में 25 हजार से अधिक एलईडी लाइट्स लगाई जाएंगी ताकि मेले का हर कोना रोशन रहे। इसके अलावा संगम के घाट और प्रमुख चौराहों पर हाइब्रिड सोलर लाइट्स स्थापित की जाएंगी, जो पर्यावरण के अनुकूल होंगी। आपात स्थिति के लिए डीजी सेट भी उपलब्ध रहेंगे।

Point of View

बल्कि श्रद्धालुओं के अनुभव को भी बेहतर बनाएगा। यह कदम न केवल स्थानीय प्रशासन की तत्परता को दर्शाता है, बल्कि इसे देशभर में एक सकारात्मक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

माघ मेले में स्कैन टू फिक्स तकनीकी का क्या महत्व है?
यह तकनीक बिजली से जुड़ी समस्याओं का त्वरित समाधान प्रदान करेगी, जिससे मेले में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिलेगी।
इस बार माघ मेले में बिजली व्यवस्था के लिए कितना बजट निर्धारित किया गया है?
माघ मेले में बिजली व्यवस्था के लिए 32 करोड़ का बजट रखा गया है।
क्या मेले में पर्यावरण के अनुकूल उपाय किए जा रहे हैं?
हाँ, मेले में हाइब्रिड सोलर लाइट्स का उपयोग किया जाएगा, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं।
कितनी एलईडी लाइट्स लगाई जाएंगी?
पूरे माघ मेले में 25 हजार से अधिक एलईडी लाइट्स लगाई जाएंगी।
क्या श्रद्धालु अपनी लोकेशन पहचान सकेंगे?
हाँ, स्कैन टू फिक्स तकनीक के माध्यम से श्रद्धालु अपनी लोकेशन पहचान सकेंगे।
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