क्या महादेव 'शूल योग' के दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं? कैसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न?

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क्या महादेव 'शूल योग' के दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं? कैसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न?

सारांश

जानें कैसे 'शूल योग' के दुष्प्रभावों से बचें और भोलेनाथ को प्रसन्न करने के उपाय। इस विशेष लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे नियमित पूजा से आप इस अशुभ योग के कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं।

Key Takeaways

  • शूल योग के दौरान शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
  • महादेव की पूजा से दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  • शनि के व्रत से सफलता प्राप्त होती है।
  • पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ है।
  • धर्मशास्त्र के अनुसार शनि को प्रसन्न करना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि शनिवार को आ रही है। इस दिन भरणी नक्षत्र विद्यमान है और इसके साथ ही आज शूल योग का निर्माण भी हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह एक अशुभ योग है, जिसमें सभी शुभ कार्यों पर रोक लगाई गई है। हालांकि, धर्म शास्त्र में इस समस्या के समाधान भी दिए गए हैं।

पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा, जबकि राहुकाल सुबह 09 बजकर 01 मिनट से 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

शूल योग को ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है, जिसमें सभी सात ग्रह तीन राशियों में स्थित होते हैं। इस योग में किसी भी शुभ कार्य का संपादन वर्जित है, क्योंकि इससे जातक को कष्टों का सामना करना पड़ता है। शूल का अर्थ है 'चुभने वाला शस्त्र', और इस योग में किया गया कोई भी कार्य, भले ही सफल हो जाए, जातक के जीवन में लंबे समय तक पीड़ा का कारण बन सकता है।

शूल योग का स्वामी राहु है और शिवजी राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं। नियमित रूप से शिवजी की पूजा करने से शूल योग के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। प्रभाव को कम करने के लिए आप रोजाना शिवजी पर जल चढ़ाएं और महामृत्युंजय का जाप करें। इसके साथ ही बेल पत्र चढ़ाने से भी भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। यदि किसी व्यक्ति का जन्म शूल योग में हुआ है तो शूल योग शांति पूजन करवाना धार्मिक दृष्टि से आवश्यक हो जाता है।

अग्नि पुराण के अनुसार, शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। श्रावण माह में पड़ने वाले शनिवार के दिन इस व्रत की शुरुआत करना विशेष महत्व रखता है। इसके अलावा, ये व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से प्रारंभ किया जा सकता है। मान्यता के अनुसार, 7 शनिवार व्रत रखने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि शनिदेव को कैसे प्रसन्न करना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनि की प्रतिमा या शनि यंत्र रखें और शनि मंत्रों जैसे शं शनैश्चराय नम:, सूर्य पुत्राय नम: का जाप करें। फिर शनिदेव को स्नान करवाएं और उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, और सरसों का तेल अर्पित करें तथा सरसों के तेल का दिया जलाएं। इसके बाद शनि चालीसा और कथा का पाठ भी करें।

पूजा के दौरान शनिदेव को पूरी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं और आरती करें। मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है। इसीलिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बहुत शुभ माना जाता है।

Point of View

हम जानते हैं कि ज्योतिष का महत्व हमारे जीवन में गहरा होता है। 'शूल योग' के दुष्प्रभावों से बचने के लिए धार्मिक उपायों का पालन करना आवश्यक है। इस लेख में बताए गए उपाय और नियम हमें जीवन में सकारात्मकता लाने में मदद कर सकते हैं।
NationPress
18/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या शूल योग में कोई शुभ कार्य करना चाहिए?
नहीं, ज्योतिष के अनुसार शूल योग में शुभ कार्य करना वर्जित है।
महादेव की पूजा से शूल योग के दुष्प्रभाव कैसे कम होते हैं?
महादेव की नियमित पूजा और विशेष मंत्रों का जाप करने से शूल योग के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
क्या शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय हैं?
हाँ, शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष व्रत और मंत्रों का जाप किया जा सकता है।