क्या महाराष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- एनसीबी ने 25 किलोग्राम नशीले पदार्थों को नष्ट किया।
- अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट को ध्वस्त किया गया।
- 9 लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिसमें किंगपिन भी शामिल है।
- ड्रग्स के नष्ट करने की प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ हुई।
- यह अभियान जन स्वास्थ्य की रक्षा का हिस्सा है।
मुंबई, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की मुंबई जोनल यूनिट ने एक प्रभावी अभियान के दौरान नवी मुंबई में एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट को पूरी तरह समाप्त कर दिया। बुधवार को, एनसीबी ने इस मामले में जब्त किए गए करीब 25 किलोग्राम नशीले पदार्थों को विधिवत नष्ट किया।
जब्त की गई सामग्री में उच्च गुणवत्ता वाली कोकीन, हाइड्रोपोनिक गांजा (हाइड्रो गांजा) और गांजा गमीज शामिल थे। इनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए आंकी गई है। जांच के दौरान यह पता चला कि यह सिंडिकेट विदेशी तस्करों से सीधे संपर्क में था और नशीले पदार्थों को छिपाकर भारत में लाने की कोशिश कर रहा था।
एनसीबी ने लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर दो मुख्य ड्रग तस्करों को भारत में घुसते ही पकड़ लिया। आगे की जांच में इनके तार मलेशिया तक जुड़े पाए गए। टीम ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग से सिंडिकेट के किंगपिन को मलेशिया से डिपोर्ट करवा कर भारत लाकर गिरफ्तार किया।
अब तक इस मामले में कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें किंगपिन, उसके मुख्य सहयोगी, हवाला ऑपरेटर, ड्रग कैरियर, स्टोरेज रखने वाले और स्थानीय वितरक शामिल हैं। एनसीबी ने ‘बॉटम टू टॉप’ रणनीति अपनाते हुए पूरे नेटवर्क को नष्ट कर दिया।
वित्तीय जांच में किंगपिन से जुड़े 10 करोड़ रुपए से अधिक की चल-अचल संपत्तियों को फ्रीज किया गया है। जांच पूरी होने के बाद केस की चार्जशीट नवी मुंबई की बेलापुर कोर्ट में दाखिल कर दी गई है।
ड्रग्स के नष्ट करने की प्रक्रिया भी पूरी पारदर्शिता के साथ हुई। एक हाई-लेवल ड्रग डिस्पोजल कमेटी (एचएलडीडीसी) का गठन किया गया था, जिसमें एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र), मुंबई जोनल यूनिट के एडिशनल डायरेक्टर और डीआरआई के एडिशनल डायरेक्टर शामिल थे। कमेटी की मौजूदगी में 19 नवंबर को तलोजा स्थित एमडब्ल्यूएमएल इंसीनरेशन प्लांट में सभी 25 किग्रा ड्रग्स को जलाकर सुरक्षित रूप से नष्ट किया गया।
एनसीबी के अधिकारियों ने बताया कि ट्रायल से पहले ही ड्रग्स को नष्ट करना आवश्यक होता है ताकि ये फिर से बाजार में न पहुंच सकें। यह अभियान देश में संगठित ड्रग माफिया के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है। एनसीबी ने फिर से पुष्टि की कि वह जन स्वास्थ्य की रक्षा और प्रधानमंत्री के '2047 तक नशा मुक्त भारत' के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।