क्या महाराष्ट्र में टैक्स बढ़ोतरी पर होटल और रेस्टोरेंट उद्योग का विरोध सही है?

सारांश
Key Takeaways
- टैक्स बढ़ोतरी के खिलाफ होटल और रेस्टोरेंट उद्योग का विरोध।
- सरकार से न्यायसंगत नीति की मांग।
- उद्योग में २० लाख से अधिक लोग जुड़े हैं।
- दामों में वृद्धि से ग्राहकों की जेब पर असर।
- महाराष्ट्र में २०,००० से अधिक होटल और रेस्टोरेंट।
मुंबई, १४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के होटल और रेस्टोरेंट उद्योग ने सरकार द्वारा टैक्स बढ़ोतरी के विरुद्ध सोमवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (एएचएआर) के नेतृत्व में यह प्रदर्शन शराब पर वैट, लाइसेंस शुल्क और एक्साइज ड्यूटी में हुई अत्यधिक वृद्धि के खिलाफ है। एएचएआर के सलाहकार सुकेश एस. शेट्टी ने सरकार से एक न्यायसंगत नीति की मांग की है।
शेट्टी ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "पिछले डेढ़ साल से हम तीन महत्वपूर्ण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हर वर्ष १५ प्रतिशत की लाइसेंस शुल्क में वृद्धि, वैट को दोगुना किया गया और एक्साइज ड्यूटी में ६० से ७० प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। इन तीनों मुद्दों के खिलाफ हमने पूरे महाराष्ट्र में बंद का आह्वान किया है। हमने सरकार को सुझाव दिया है कि टैक्स पहले पॉइंट पर ही लिया जाए, वैट को समाप्त किया जाए और लाइसेंस शुल्क को महंगाई के अनुसार निर्धारित किया जाए, क्योंकि इससे सरकार को कोई अतिरिक्त आय नहीं होती।"
उन्होंने आगे कहा, "पूरे महाराष्ट्र में ५० से ५५ संगठन, छोटे जिलों से लेकर बड़े शहरों तक, इस विरोध में शामिल हैं। यह केवल एक दिन की हड़ताल नहीं है, बल्कि पिछले छह महीने से हम एक्साइज और जीएसटी कमिश्नर सहित सभी संबंधित अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्याएं रखते आ रहे हैं। हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह इस गंभीर मुद्दे को समझेगी और सकारात्मक निर्णय लेगी। इससे २० लाख से अधिक लोग, जो इस उद्योग से जुड़े हैं, राहत पाएंगे और २० हजार से ज्यादा नौकरियों को भी बचाया जा सकेगा।"
शेट्टी ने बताया, "हम यह भी बताना चाहते हैं कि आम ग्राहक की आय सीमित होती है। वह परिवार के साथ बाहर खाना और मनोरंजन के लिए थोड़े बहुत पैसे खर्च करता है, और अगर दाम ७०-८० प्रतिशत तक बढ़ जाएंगे, तो यह संभव नहीं होगा। इससे न केवल ग्राहक प्रभावित होगा, बल्कि पूरे हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र पर असर पड़ेगा। मुंबई में २०,००० से अधिक होटल और रेस्टोरेंट इस समस्या से जूझ रहे हैं। यह केवल एक व्यवसाय नहीं है, बल्कि लाखों लोगों की रोजी-रोटी और मनोरंजन का माध्यम भी है। हमारी सरकार से अपील है कि वह इस समस्या को समझे और ऐसा निर्णय ले, जिससे रोजगार भी सुरक्षित रहे और सरकार का राजस्व भी बना रहे।