क्या महात्मा गांधी को भारतीयों के दिलों से कभी हटाया जा सकता है?: धर्मेंद्र यादव

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क्या महात्मा गांधी को भारतीयों के दिलों से कभी हटाया जा सकता है?: धर्मेंद्र यादव

सारांश

क्या महात्मा गांधी को भारतीयों के दिलों से हटाया जा सकता है? धर्मेंद्र यादव ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जानिए इस मुद्दे पर विपक्षी सांसदों की क्या राय है और यह विषय क्यों महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • महात्मा गांधी का नाम हटाना विवादास्पद है।
  • विपक्ष का आरोप है कि भाजपा नफरत फैला रही है।
  • कई सांसदों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
  • सरकार की नई योजना में बदलाव हुए हैं।
  • इस बिल का असर मजदूरों पर होगा।

नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मनरेगा का नाम बदलने पर विपक्षी सांसदों का हंगामा जारी है। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया है कि महात्मा गांधी का नाम हटाकर भाजपा नफरत फैला रही है। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि भले ही मनरेगा से बापू का नाम हटा दिया गया हो, लेकिन महात्मा गांधी को भारत के लोगों के दिलों से कभी नहीं हटाया जा सकता है।

धर्मेंद्र यादव का यह बयान उस समय आया है जब गुरुवार को विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल राज्यसभा से पास हुआ। विपक्ष इस बिल के विरोध में विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत ने भारत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। उनका हर जगह सम्मान किया जाता है। कोई भी नेता किसी भी देश में जाए, वे हमेशा महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि देते हैं। ऐसे में मेरी राय में एक सरकारी योजना से हमारे राष्ट्रपिता का नाम हटाना चौंकाने वाला है। यह महात्मा गांधी के प्रति भाजपा की गहरी नफरत का सबूत है। योजना से उनका नाम हटाकर भाजपा नेताओं ने अपनी नफरत प्रकट की है। हालांकि, महात्मा गांधी को भारतीय दिलों से कभी नहीं हटाया जा सकता। बापू की विचारधारा को पूरा देश अपनाता है, और उसका पालन, सम्मान करता है और करता रहेगा।

सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा, "हमारे देश की महान हस्ती बापू महात्मा गांधी का नाम हटाने का क्या मतलब है। एक तरफ आप महात्मा गांधी के लिए प्यार जताते हैं और दूसरी तरफ आप उनका इतना अपमान करते हैं कि उनका नाम ही हटा दिया जाता है। हमें इस बात का दुख है। दूसरी तरफ, इस देश के मजदूरों के लिए कोई सुधार वास्तव में नहीं हुआ है। असलियत देखें तो और भी पाबंदियां लगा दी गई हैं। अब काम तभी होगा जब फंड मिलेगा, जबकि पहले काम तब होता था जब डिमांड होती थी। दुर्भाग्य से, इस योजना में कई कमियां हैं, और हमें इनमें आई कमियों का पूरी तरह से आकलन करने की ज़रूरत है।"

सीपीआई(एम) सांसद वी. शिवदासन ने कहा कि यह बिल वास्तव में देश के गरीबों के हितों के खिलाफ है। मनरेगा एक्ट से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा हुआ था। उस एक्ट में लोगों को सौ दिन के काम की गारंटी दी गई थी और केंद्र सरकार राज्यों और स्थानीय अथॉरिटी को फंड देती थी। पहले, स्थानीय अथॉरिटी के पास मनरेगा मजदूरों के लिए प्रोजेक्ट बनाने का अधिकार था। इस सरकार ने वह अधिकार छीन लिया है, प्रोजेक्ट की संख्या पर लिमिट लगा दी है, और इस बिल से 'गारंटी' शब्द भी हटा दिया है। जब गारंटी ही हटा दी गई, तो इस बिल का क्या मकसद है? इसलिए, राम के नाम पर यह सरकार लोगों से सारा पैसा छीनने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिन्होंने पूरे स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया, उनके नाम पर रखे गए बिल को खत्म कर दिया गया है। इससे ज्यादा निंदनीय काम नहीं हो सकता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि महात्मा गांधी का नाम हटाना केवल एक सरकारी योजना का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर के प्रति एक गंभीर हमला है। हमें अपने राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान बनाए रखना चाहिए, और उनकी विरासत को संरक्षण करना चाहिए।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

महात्मा गांधी का नाम हटाने का क्या कारण है?
भाजपा का आरोप है कि वे नई योजनाओं के तहत नाम बदलने की प्रक्रिया कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष इसे नफरत का प्रतीक मानता है।
धर्मेंद्र यादव ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
धर्मेंद्र यादव ने कहा कि महात्मा गांधी को भारत के दिलों से कभी नहीं हटाया जा सकता।
क्या विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया?
हाँ, विपक्ष ने बिल के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है।
इस बिल का क्या उद्देश्य है?
बिल का उद्देश्य रोजगार और आजीविका में सुधार लाना बताया गया है।
क्या इस बिल से मजदूरों को कोई लाभ होगा?
विपक्ष का मानना है कि इस बिल से मजदूरों के अधिकारों का हनन होगा।
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