क्या महाराष्ट्र के मालाड में पीएम मुद्रा योजना के नाम पर 33 लाख की ठगी हुई?

सारांश
Key Takeaways
- साइबर ठगी
- व्यापारियों को लोन के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
- सरकार की योजनाओं का गलत इस्तेमाल हो सकता है।
- साइबर सेल सक्रियता से ऐसे मामलों की जांच कर रहा है।
- समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है।
मुंबई, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मालाड के क्षेत्र में एक आश्चर्यजनक साइबर ठगी की घटना सामने आई है। तीन साइबर ठगों ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत लोन दिलाने के नाम पर एक स्थानीय व्यापारी से लगभग 33 लाख रुपए की ठगी की।
मुंबई पुलिस के नॉर्थ रीजनल डिवीजन के साइबर सेल ने इस मामले में नितिन कुमार, अश्विन कुमार और दयाशंकर मिश्रा के खिलाफ धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ता मालाड में इमिटेशन ज्वेलरी पैकेजिंग का व्यापार करते हैं और अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए 10 लाख रुपए का लोन चाहते थे। जून 2025 में उन्होंने एक मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से ऋण के लिए आवेदन किया। कुछ समय बाद, उन्हें नितिन कुमार का फोन आया, जिसने खुद को मुंबई के बीकेसी स्थित प्रधानमंत्री मुद्रा योजना कार्यालय का कर्मचारी बताया। नितिन ने कहा कि 10 लाख रुपए का लोन मंजूर हो गया है और आवेदन के लिए उनके व्यक्तिगत दस्तावेज मांगे। उसने व्हाट्सऐप पर एक 'एप्रूवल लेटर' भी भेजा।
इसके बाद, नितिन ने प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्क के नाम पर पैसे की मांग शुरू कर दी। इसी दौरान, अश्विन कुमार ने शिकायतकर्ता को फोन किया और खुद को स्टेट बैंक का कर्मचारी बताया। उसने अपना पहचान पत्र व्हाट्सऐप पर भेजकर विश्वास जीतने की कोशिश की। विभिन्न बहानों से अश्विन ने तुरंत भुगतान करने का दबाव बनाया और शिकायतकर्ता ने कई बैंक खातों में 9,53,177 रुपए ट्रांसफर कर दिए। रकम का इंतजाम करने के लिए शिकायतकर्ता ने अपने दोस्तों से भी उधार लिया, जिन्होंने सीधे आरोपियों के खातों में 46,251 रुपए भेजे।
इसके बावजूद, शिकायतकर्ता के खाते में कोई ऋण राशि नहीं आई। बाद में, उन्होंने उन खातों में से एक के मालिक से संपर्क किया, जिसने खुद को एक वित्त कंपनी का दयाशंकर मिश्रा बताया। दयाशंकर ने भी लोन दिलाने का झांसा देकर प्रोसेसिंग और अन्य शुल्क के नाम पर 18,73,700 रुपए वसूले, लेकिन कोई ऋण नहीं दिया।
धोखाधड़ी का एहसास होने पर पीड़ित ने स्थानीय पुलिस और नॉर्थ रीजनल साइबर सेल से संपर्क किया। पुलिस अब उन बैंक खातों की जांच कर रही है, जिनमें ठगी की गई रकम जमा की गई थी। मुंबई पुलिस ने कहा कि आगे की जांच जारी है और आरोपियों को पकड़ने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं।