क्या मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित सभी आरोपियों को बरी किया गया?

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क्या मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित सभी आरोपियों को बरी किया गया?

सारांश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने उन्हें 6 हफ्तों के अंदर जवाब देने को कहा है। मालेगांव विस्फोट की जांच में हुई त्रुटियों पर यह सुनवाई महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को नोटिस जारी किया।
  • मालेगांव विस्फोट २९ सितंबर २००८ को हुआ था।
  • बरी किए जाने के खिलाफ अपील की प्रक्रिया बताई गई।
  • महत्वपूर्ण सवालों पर सुनवाई की जाएगी।
  • सुरक्षा और न्याय का संतुलन बनाना आवश्यक है।

मुंबई, १८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी की गई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने उन्हें ६ हफ्तों में जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही एनआईए को भी नोटिस भेजा गया है। विस्फोट में मृतक छह लोगों के परिवारों ने विशेष एनआईए अदालत के फैसले को चुनौती दी है।

यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की बेंच के समक्ष की गई। याचिका में कहा गया है कि जांच में हुई गलतियों या कुछ त्रुटियों के आधार पर आरोपियों को बरी नहीं किया जा सकता है।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि विस्फोट की साजिश के दौरान गोपनीयता बरती गई, जिससे प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो सके।

इससे पहले, १६ सितंबर को महाराष्ट्र के मालेगांव में २००८ में हुए विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने का अधिकार हर व्यक्ति को नहीं है। यह अधिकार केवल उन्हीं को है जो ट्रायल में गवाह रहे हों या सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष से जुड़े हों।

ज्ञात हो कि ३१ जुलाई को विशेष एनआईए कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था, जिनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे।

अपीलकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि अदालत को केवल मूकदर्शक नहीं रहना चाहिए था। आवश्यकता पड़ने पर उसे सवाल पूछने और अतिरिक्त गवाह बुलाने का अधिकार का उपयोग करना चाहिए था। इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को फिर से सुनवाई होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि पीड़ित परिवारों की अपील सुनवाई योग्य है या नहीं और ट्रायल में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण रही थी।

मालेगांव विस्फोट २९ सितंबर, २००८ की शाम को हुआ था, जब महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था। रमजान के दौरान और नवरात्रि से कुछ दिन पहले हुए इस हमले में छह लोग मारे गए थे और १०० से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

Point of View

NationPress
18/09/2025

Frequently Asked Questions

बॉम्बे हाई कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को क्यों नोटिस जारी किया?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में उन्हें बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए नोटिस जारी किया है।
मालेगांव विस्फोट कब हुआ था?
मालेगांव विस्फोट २९ सितंबर २००८ को हुआ था।
इस मामले में कितने लोग बरी हुए हैं?
इस मामले में कुल सात लोग बरी हुए हैं।
क्या अपील करने का अधिकार सभी को है?
नहीं, अपील करने का अधिकार केवल उन्हीं को है जो ट्रायल में गवाह रहे हों या सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष से जुड़े हों।
इस विस्फोट में कितने लोग मारे गए थे?
इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और १०० से ज्यादा लोग घायल हुए थे।