क्या मालेगांव केस में सीएम फडणवीस का बयान सही है: 'आतंकवाद भगवा न कभी था, न है, न कभी रहेगा'?

सारांश
Key Takeaways
- मालेगांव विस्फोट ने 17 वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा की।
- एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया।
- सीएम फडणवीस ने भगवा आतंकवाद के मुद्दे को उठाया।
- डिप्टी सीएम ने सत्य की जीत की बात की।
- मामला धार्मिक सद्भाव के लिए एक चुनौती है।
मुंबई, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए कोर्ट ने गुरुवार को अपना निर्णय सुनाया। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान सामने आया है।
सीएम फडणवीस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''आतंकवाद भगवा न कभी था, न है, न कभी रहेगा!''
वहीं डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने भी मालेगांव केस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, ''सत्य कभी असफल नहीं होता: 17 वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद, एक विशेष अदालत ने मालेगांव विस्फोटों के सात कथित आरोपियों को बरी कर दिया। यह सच है कि न्याय में देरी हुई, लेकिन यह एक बार फिर साबित हो गया है कि सत्य कभी पराजित नहीं होता।''
उन्होंने कहा, ''मालेगांव विस्फोट मामले में झूठे आरोप में जेल में बंद देशभक्तों को शिवसेना ने शुरू से ही अटूट समर्थन दिया था। क्योंकि शिवसेना को कभी संदेह नहीं हुआ कि उसका पक्ष न्याय के पक्ष में है। कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा और सात अन्य को इस आरोप के कारण भारी मानसिक और शारीरिक यातना सहनी पड़ी है। हिंदू इस अन्याय को कभी नहीं भूलेंगे। एक हिंदू कभी भी राष्ट्र-विरोधी कृत्य नहीं कर सकता, क्योंकि देशभक्ति हिंदुओं का धार्मिक कर्तव्य है। षड्यंत्रकारी कांग्रेसी नेताओं ने 'हिंदू आतंकवाद' शब्द गढ़ा। अब इतनी जल्दी में उनके पास इसका क्या जवाब है?''
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने अंत में लिखा, ''आज एक काला युग समाप्त हो गया। हिंदुओं पर लगा कलंक मिट गया। इसमें कोई शक नहीं कि 'गर्व से कहो हम हिंदू हैं' का नारा अब पूरे देश में सौ गुना जोर से गूंजेगा। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं! जय हिंद, जय महाराष्ट्र।''
गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए।