क्या ममता की लिखी पुस्तकों को स्कूलों में अनिवार्य बनाना हिटलरशाही का उदाहरण है?

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क्या ममता की लिखी पुस्तकों को स्कूलों में अनिवार्य बनाना हिटलरशाही का उदाहरण है?

सारांश

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की किताबों को स्कूलों में अनिवार्य बनाने पर भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे हिटलरशाही का उदाहरण बताया, जो लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है। जानें इस मुद्दे पर उनका क्या कहना है।

Key Takeaways

  • ममता बनर्जी की किताबें स्कूलों में अनिवार्य बनाई जा रही हैं।
  • भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने इसका विरोध किया है।
  • उन्होंने इसे हिटलरशाही का उदाहरण बताया।
  • राज्य में लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाए हैं।
  • चुनाव आयोग को इस मामले पर विचार करना चाहिए।

बालुरघाट, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लिखी गई पुस्तकों को स्कूलों में अनिवार्य बनाए जाने के निर्णय की दक्षिण दिनाजपुर से सांसद और राज्य भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे हिटलरशाही का उदाहरण करार दिया।

सुकांत मजूमदार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यह हिटलरशाही का उदाहरण है। जर्मनी में हिटलर ऐसे ही कदम उठाता था। हाल ही में खबरें आई थीं कि स्कूलों के पास चॉक और डस्टर खरीदने के लिए भी धन नहीं है। ऐसे में यह जनता के पैसों की लूट है। मुख्यमंत्री की पुस्तकों को जबरन शामिल करना स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि यह किताब पन्ने फाड़कर ठोंगा के अलावा किसी काम की नहीं है।"

उन्होंने आगे सवाल उठाया, "यदि उन्हें लेखक बनने का इतना शौक है, तो उन्हें अपनी किताबें खुले बाजार में बेचने दें। आखिरकार, उन्होंने खुद कहा है कि वह पेंटिंग और किताबें लिखकर पैसा कमाती हैं।"

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, "पश्चिम बंगाल में वास्तविक लोकतंत्र नहीं है। हाल ही के उपचुनाव में, जहां 57 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम थी, यह स्पष्ट था कि तृणमूल कांग्रेस जीतने वाली है। इसके बाद एक मुस्लिम लड़की की बम से हत्या कर दी गई। यह उनकी मानसिकता और लोकतंत्र के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। लोकतंत्र में किसी की जान नहीं जानी चाहिए। इस मामले पर चुनाव आयोग को विचार करना चाहिए। आयोग को पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए नियम और कानून बनाना चाहिए।"

मजूमदार ने चुनाव के बाद हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा, "उस किशोरी का एकमात्र दोष यह था कि उसके माता-पिता एक अलग राजनीतिक दल का समर्थन करते थे। मैंने व्यक्तिगत रूप से उस क्षेत्र से हमारे उम्मीदवार को उस परिवार से मिलने का निर्देश दिया था। भले ही वे हमारे समर्थक नहीं हैं, यह पूरी तरह से मानवीय चिंता का विषय था, क्योंकि लोकतंत्र में किसी की जान नहीं जानी चाहिए। क्या मुख्यमंत्री को जरा भी शर्म नहीं आती?"

Point of View

जहां राजनीतिक असहमति को सहन नहीं किया जा रहा है।
NationPress
24/06/2025

Frequently Asked Questions

ममता बनर्जी की किताबों को स्कूलों में अनिवार्य क्यों किया जा रहा है?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की किताबों को स्कूलों में अनिवार्य बनाने का निर्णय शिक्षा के स्तर को बढ़ाने और उनके विचारों को छात्रों तक पहुंचाने के लिए लिया गया है।
सुकांत मजूमदार का इस पर क्या कहना है?
सुकांत मजूमदार ने इसे हिटलरशाही का उदाहरण बताया है और कहा है कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है।
क्या यह निर्णय सही है?
यह निर्णय विवादास्पद है और यह देखना होगा कि इसका प्रभाव छात्रों और शिक्षा प्रणाली पर क्या पड़ता है।