क्या मराठी भाषा के नाम पर किसी को मारना-पीटना उचित है? : अबू आजमी

सारांश
Key Takeaways
- भाषा का सम्मान सभी के लिए जरूरी है।
- हिंसा का कोई भी रूप अस्वीकार्य है।
- समाज में सहिष्णुता का होना आवश्यक है।
- शिक्षा के माध्यम से संवेदना को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- राजनीति में विभाजन का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
भिवंडी, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठी-हिंदी भाषा विवाद पर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने स्पष्ट किया कि मराठी भाषा के नाम पर किसी के साथ हिंसा करना उचित नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि किसी को मराठी नहीं आती है, तो क्या हम उसे पीटने लगेंगे?
हाल ही में मनसे के कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार को पीटा, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई है। मनसे के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर कोई महाराष्ट्र में रहना चाहता है, तो उसे मराठी बोलनी चाहिए।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा ‘जय गुजरात’ का नारा देने पर विपक्ष ने उन पर निशाना साधा। आजमी ने कहा कि यह सब केवल एक बहाना है। कोई भी मराठी भाषा का अपमान नहीं कर रहा है; हर राज्य की मातृभाषा का सम्मान किया जाता है। लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। अगर कोई अशिक्षित व्यक्ति महाराष्ट्र में काम करने आया है, तो उसे मराठी नहीं आती, तो क्या आप उसे पीटेंगे? अगर आपको मराठी से इतना प्रेम है, तो आप उनके लिए एक स्कूल खोलें, जहां मराठी बोलने की शिक्षा दी जाए।
अबू आजमी ने यह भी कहा कि अगर कोई अंग्रेजी बोलता है, तो कोई समस्या नहीं होती, लेकिन अगर वह हिंदी में बात करता है, तो दिक्कत आ जाती है। उन्होंने कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि हिंदी भाषा महारानी बनेगी और अंग्रेजी भाषा नौकरानी। लेकिन आज अंग्रेजी को तो सम्मान मिलता है, जबकि हिंदी को सम्मान नहीं दिया जा रहा है।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की संयुक्त रैली पर आजमी ने कहा कि यदि दोनों एक साथ आएंगे, तो उनकी ताकत बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि बीएमसी चुनाव को लेकर कई मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने से पार्टी के कार्यकर्ता खुश हैं, हालाँकि सत्ता पक्ष के लोगों का मानना है कि दोनों भाई ज्यादा समय तक साथ नहीं रहेंगे।