क्या मालासन, उष्ट्रासन, धनुरासन और मत्स्यासन से पीरियड्स की अनियमितता दूर हो सकती है?

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क्या मालासन, उष्ट्रासन, धनुरासन और मत्स्यासन से पीरियड्स की अनियमितता दूर हो सकती है?

सारांश

क्या आप मासिक धर्म की अनियमितता से परेशान हैं? जानें कैसे कुछ सरल योगासन जैसे मालासन, उष्ट्रासन, धनुरासन और मत्स्यासन आपकी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इन आसनों को नियमित रूप से करने से आप राहत पा सकते हैं।

Key Takeaways

  • योगासन मासिक धर्म की समस्याओं को कम कर सकते हैं।
  • स्वस्थ आहार का पालन करें।
  • समस्या अधिक होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
  • योगासन को प्रशिक्षक की निगरानी में करें।
  • प्रारंभिक अभ्यास में धैर्य रखें।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान की तेज रफ्तार भरी ज़िंदगी में हर कोई तनाव का सामना कर रहा है। चाहे वह कार्य का दबाव हो, पारिवारिक जिम्मेदारियाँ, नींद की कमी, या असंतुलित आहार। इन सभी कारणों से हमें शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही मासिक धर्म के दौरान भी समस्याएँ आ सकती हैं।

मासिक धर्म के समय अक्सर महिलाओं को पेट में तीव्र दर्द, भारी रक्तस्राव, मांसपेशियों में ऐंठन, अनियमित चक्र और मूड में उतार-चढ़ाव जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं। कभी-कभी पीरियड्स पहले आते हैं, तो कभी देरी से आने पर कब्ज, तनाव और असहनीय दर्द हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह समस्या प्रारंभिक चरण में है, तो आप एक स्वस्थ आहार और योगासनों के माध्यम से इसे सुधार सकते हैं, लेकिन यदि स्थिति गंभीर हो, तो डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। ऐसे में इन योगासनों से आपको राहत मिल सकती है।

मत्स्यासन: इसे फिश पोज भी कहा जाता है। इसके नियमित अभ्यास से मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द में राहत मिलती है। यह पेट के निचले हिस्से में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है और पेट की मांसपेशियों की मालिश करता है, पाचन को सुधारता है और कब्ज से राहत दिलाता है।

मालासन: यह आसन पीरियड्स के समय होने वाली ऐंठन को कम करने में सहायक है और पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है, जिससे मासिक धर्म के दौरान होने वाली बेचैनी से राहत मिलती है। साथ ही, यह ब्लोटिंग जैसी समस्याओं को भी कम कर सकता है।

धनुरासन: आयुष मंत्रालय के अनुसार, धनुरासन के नियमित अभ्यास से प्रजनन अंग सक्रिय होते हैं, रक्त प्रवाह में सुधार होता है और मासिक धर्म चक्र भी बेहतर होता है। यह मुद्रा पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करती है, रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाती है और तनाव को कम करती है।

उष्ट्रासन: इसे बैकबेंडिंग योगासन कहा जाता है, जो रीढ़ को लचीला बनाने में मदद करता है और पेट के अंगों को सक्रिय करता है।

हालांकि योगासन करना एक उत्तम विकल्प है, लेकिन अधिक समस्याओं के होने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और योगासन किसी प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें। प्रारंभिक अभ्यास में अधिक दबाव न डालें और अभ्यास की अवधि धीरे-धीरे बढ़ाएं।

Point of View

महिलाओं की मासिक धर्म की समस्याएं समाज में एक महत्वपूर्ण मुद्दा हैं। सही जानकारी और मार्गदर्शन से महिलाएं बेहतर स्वास्थ्य की ओर अग्रसर हो सकती हैं। योगासन के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करना एक सकारात्मक कदम है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या योगासन से मासिक धर्म की समस्याएं दूर हो सकती हैं?
हाँ, नियमित योगासन करने से मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में राहत मिल सकती है।
क्या मुझे योगासन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए?
यदि समस्या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
कौन से योगासन मासिक धर्म के लिए फायदेमंद हैं?
मालासन, उष्ट्रासन, धनुरासन और मत्स्यासन विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं।