क्या 21 अगस्त को मासिक शिवरात्रि पर गुरु-पुष्य समेत बन रहे ये अति शुभ योग हैं?

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क्या 21 अगस्त को मासिक शिवरात्रि पर गुरु-पुष्य समेत बन रहे ये अति शुभ योग हैं?

सारांश

21 अगस्त को मासिक शिवरात्रि पर गुरु-पुष्य, सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि जैसे शुभ योग बन रहे हैं। जानें कैसे करें महादेव की पूजा और इन योगों का लाभ उठाएं।

Key Takeaways

  • मासिक शिवरात्रि पर विशेष पूजा का महत्व है।
  • गुरु-पुष्य योग धन और समृद्धि में वृद्धि करता है।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग सभी कार्यों की सिद्धि में सहायक है।
  • अमृत सिद्धि योग आध्यात्मिक सफलताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
  • इस दिन उपवास और रात्रि जागरण का विशेष लाभ है।

नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार, 21 अगस्त को मासिक शिवरात्रि है और इस दिन गुरु-पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि जैसे अत्यंत शुभ योगों का संयोग बन रहा है। यह दिन भगवान शिव की उपासना और शुभ कार्यों के लिए विशेष महत्व रखता है।

त्रयोदशी तिथि शाम 12:44 मिनट तक रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में स्थित रहेगा और पुष्य नक्षत्र 22 अगस्त की रात 12:08 मिनट तक रहेगा। सूर्योदय 5:53 मिनट पर और सूर्यास्त 6:54 मिनट पर होगा।

मासिक शिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। इस दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव एवं माता पार्वती की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

विशेष बात यह है कि इस दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है। गुरु-पुष्य योग, जो गुरुवार को पुष्य नक्षत्र के संयोग से बनता है, धन, समृद्धि और बुद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की संभावना होती है। इसके साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो सभी कार्यों की सिद्धि के लिए जाना जाता है। इस दिन नए कार्य शुरू करना, निवेश करना या महत्वपूर्ण निर्णय लेना शुभ होता है। अमृत सिद्धि योग आध्यात्मिक और सांसारिक कार्यों में सफलता प्रदान करता है। इस दिन की गई पूजा और साधना विशेष फलदायी होती है।

शिवरात्रि के दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिव मंदिर या घर के पूजा स्थल पर शिवलिंग पर जल, दूध, घी, शहद और शक्कर चढ़ाएं। इसके बाद अभिषेक करें। भगवान को बिल्वपत्र, धतूरा, भांग और सफेद फूल अर्पित करें। इसके साथ काला तिल, जनेऊ, सुपारी, जौ, गेहूं, गुड़, अबीर बुक्का आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। विधि-विधान से पूजा करने के बाद ध्यान लगाएं और 'ओम नम: शिवाय' और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें। इस दिन संभव हो तो उपवास रखें और रात्रि जागरण कर भक्ति भजनों का गायन करें। पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

Point of View

बल्कि व्यक्तिगत समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

मासिक शिवरात्रि कब मनाई जाती है?
मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।
गुरु-पुष्य योग का महत्व क्या है?
गुरु-पुष्य योग धन, समृद्धि और बुद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस दिन की पूजा विधि क्या है?
इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, घी, शहद और शक्कर चढ़ाकर पूजा करें।
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