क्या मथुरा में भाई दूज पर श्रद्धालुओं की संख्या 1.25 लाख थी?

सारांश
Key Takeaways
- भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है।
- यमुना स्नान से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- इस पर्व की विशेष परंपरा है 'यम फांस'।
- भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।
- यमराज और यमुना के संबंध को दर्शाता है।
मथुरा, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भाई दूज के पावन अवसर पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा में आस्था का सैलाब देखने को मिला। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को 'यम द्वितीया' भी कहा जाता है। इस दिन मथुरा के प्रसिद्ध विश्राम घाट पर यमुना स्नान के लिए लगभग 1.25 लाख श्रद्धालु पहुंचे।
सुबह से ही यमुना नदी में लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। परिवार, बच्चे और बुजुर्ग सभी मिलकर यमुना में स्नान कर रहे हैं। इस अवसर पर भाई-बहन एक-दूसरे का हाथ पकड़कर 'यम फांस' की प्रथा का पालन करते हैं, जिसमें वे अकाल मृत्यु से बचने की प्रार्थना के साथ पवित्र स्नान का आयोजन करते हैं।
स्नान के बाद, बहनों ने भाइयों को आसन पर बिठाकर उनका तिलक किया। इसके बाद, सभी ने विश्राम घाट की सीढ़ियों पर स्थित यमराज-यमुना मंदिर में जाकर वैदिक विधि-विधान से दीप जलाकर पूजा-अर्चना की। विश्राम घाट पर ही यमुना किनारे यमराज का प्राचीन मंदिर है, जो मुख्य स्नान और पूजा-अर्चना का केंद्र रहा है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज का त्योहार यमराज और उनकी बहन यमुना के अनन्य स्नेह से जुड़ा है। सूर्य देव और संज्ञा की संतान यमराज, अपनी बहन यमुना के बार-बार आग्रह पर, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन उनसे मिलने और उनके घर भोजन के लिए आए थे।
अपनी बहन यमुना के आतिथ्य से यमराज अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना को वर मांगने को कहा। तब यमुना ने वर मांगा कि एक तो वे हर साल इसी तिथि पर उनके घर आएं और दूसरा जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करे और तिलक करवाए, उसे लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति हो। यमराज ने 'तथास्तु' कहकर यह वरदान दिया, तभी से भाई दूज मनाने की यह पावन परंपरा चली आ रही है।
मथुरा में इस पर्व की एक विशेष परंपरा है। यहां भाई-बहन एक साथ मिलकर यमुना नदी में स्नान करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन को सौभाग्य, सुख-समृद्धि और आपसी स्नेह की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में यह त्योहार उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर भोजन करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।