क्या मिजोरम के गवर्नर ने राज्य का सबसे ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया?
सारांश
Key Takeaways
- मिजोरम में 108 फीट ऊँचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।
- राज्यपाल ने इसे राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक बताया।
- क्रिसमस ईव पर ध्वज का उद्घाटन हुआ, जो इसे विशेष बनाता है।
- यह ध्वज लोगों को सद्भाव और आशा की भावना को बढ़ावा देगा।
- कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियाँ मौजूद रहीं।
आइजोल, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मिजोरम में राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक बनते हुए राज्य का सबसे ऊंचा, 108 फीट लंबा राष्ट्रीय ध्वज बुधवार को फहराया गया। मिजोरम के राज्यपाल जनरल (सेवानिवृत्त) विजय कुमार सिंह ने राजधानी आइजोल के जोखावसांग में असम राइफल्स परिसर में एक गरिमामय समारोह के दौरान इस विशाल तिरंगे का उद्घाटन किया।
राज्यपाल ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि क्रिसमस ईव के दिन राष्ट्रीय ध्वज का उद्घाटन होना इसे और विशेष बनाता है। यह अवसर मिजोरम के लोगों में सद्भाव, आशा और एकता की भावना को दर्शाता है।
राज्यपाल ने असम राइफल्स और फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया की सराहना करते हुए कहा कि जोखावसांग को ध्वज स्थल के रूप में चुनना एक सराहनीय निर्णय है, क्योंकि यह विशाल तिरंगा आइजोल के कई हिस्सों से साफ दिखाई देगा और लोगों को हर समय राष्ट्रीय गर्व की याद दिलाता रहेगा।
जनरल सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज देशवासियों को एकजुट करता है और संविधान के मूल मूल्यों (एकता, अखंडता, समानता, कर्तव्य और भारत की विविधता के प्रति सम्मान) की याद दिलाता है।
उन्होंने भारत की ताकत को उसकी विविधता में एकता बताते हुए उम्मीद जताई कि यह विशाल तिरंगा मिजोरम के युवाओं को 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य में योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा।
समारोह में गृह मंत्री के. सापदंगा ने भी लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज एकता, देशभक्ति, निस्वार्थ बलिदान और उज्ज्वल भविष्य की आशा का प्रतीक है।
साथ ही, फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मेजर जनरल आशीम कोहली ने भी अपने विचार रखे। फाउंडेशन के चेयरमैन नवीन जिंदल ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संक्षिप्त संदेश दिया। ब्रिगेडियर पुष्पेंदर सोरायन, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल, मुख्यालय 23 सेक्टर असम राइफल्स ने सभी के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में मेजर जनरल सुरेश भांभू, इंस्पेक्टर जनरल असम राइफल्स (ईस्ट), वनलालमाविया, गृह विभाग के सचिव, अन्य वरिष्ठ असैनिक और सैन्य अधिकारी, पूर्व सैनिक, स्थानीय नागरिक और स्कूली बच्चे भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।