क्या प्रधानमंत्री मोदी के आगमन से पहले मुख्यमंत्री योगी अयोध्या पहुंचे?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का आगमन अयोध्या में ऐतिहासिक है।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तैयारियों का निरीक्षण किया।
- ध्वज फहराने का समारोह भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
- मंदिर परिसर की आर्किटेक्चरल विविधता अद्वितीय है।
- यह आयोजन सामूहिक एकता का संदेश देता है।
लखनऊ, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने वाले हैं। इस कार्यक्रम की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को अयोध्या पहुंच गए और उन्होंने मंदिर परिसर में आयोजन एवं मंदिर प्रशासन और जनपद प्रशासन द्वारा की गई तैयारियों का जायजा लिया।
जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को अयोध्या में पहुंचकर स्थानीय लोगों का अभिनंदन करते हुए श्री रामजन्मभूमि मंदिर आएंगे। सुबह करीब 10 बजे वे सप्तमंदिर जाएंगे जहां महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा, और माता शबरी मंदिर में भी शीश झुकाएंगे। इसके बाद पीएम मोदी शेषावतार मंदिर और सुबह करीब 11 बजे माता अन्नपूर्णा मंदिर भी जाएंगे। अंत में वे राम दरबार गर्भगृह में दर्शन-पूजन करेंगे।
प्रधानमंत्री दोपहर करीब 12 बजे श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराएंगे। यह कार्यक्रम मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की शुभ पंचमी पर श्रीराम और मां सीता के विवाह पंचमी के अभिजीत मुहूर्त के साथ होगा। 10 फीट ऊंचा और 20 फीट लंबा समकोण वाला तिकोना झंडा फहराया जाएगा, जिस पर भगवान श्री राम की प्रतिभा और वीरता का प्रतीक चमकता सूरज की तस्वीर अंकित है। इस पर कोविदारा पेड़ की तस्वीर के साथ 'ॐ' लिखा गया है। यह ध्वज रामराज्य के आदर्शों को दर्शाते हुए गरिमा, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का संदेश देगा।
झंडा पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर आर्किटेक्चरल स्टाइल में बने शिखर पर फहराया जाएगा, जबकि मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा (दक्षिण भारतीय आर्किटेक्चरल परंपरा में डिजाइन किया गया घेरा) मंदिर की आर्किटेक्चरल विविधता को प्रदर्शित करता है। मंदिर परिसर के मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर वाल्मीकि रामायण पर आधारित भगवान श्री राम के जीवन से जुड़े 87 बारीकी से पत्थर पर उकेरे गए प्रसंग हैं। घेरे की दीवारों पर भारतीय संस्कृति से जुड़े 79 कांस्य-ढाल वाले प्रसंग रखे गए हैं।