क्या स्वच्छ और समावेशी मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव है? : मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार
सारांश
Key Takeaways
- स्वच्छ और समावेशी मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव है।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग मतदाता पंजीकरण को सरल बनाता है।
- आयोग ने पारदर्शिता के लिए नए निर्देश जारी किए हैं।
- मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- निर्वाचन प्रक्रिया में क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करना होगा।
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने नई दिल्ली में भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) का दो-दिवसीय अनुवर्ती सम्मेलन शुरू किया। यह सम्मेलन राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) की तैयारियों का आकलन करने के लिए आयोजित किया गया।
सम्मेलन की अध्यक्षता मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की, जिसमें निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और डॉ. विवेक जोशी भी उपस्थित रहे।
इस दौरान सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन 10 सितंबर को आयोजित एसआईआर तैयारियों पर पिछले सम्मेलन जैसा है।
पिछले सम्मेलन के दौरान सभी राज्यों और संघ राज्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाता संख्या, पिछली एसआईआर की अर्हता तिथि और मतदाता सूची के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतियां दी थीं।
इस सम्मेलन में आयोग ने इन प्रस्तुतियों के आधार पर प्रगति की समीक्षा की। इसके साथ ही वर्तमान मतदाताओं को पिछले एसआईआर के समय के मतदाताओं के साथ मैप करने के लिए जारी निर्देशों पर हुई प्रगति का मूल्यांकन किया। यह प्रक्रिया मतदाता सूची के शुद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, बूथ लेवल अधिकारियों और बूथ लेवल एजेंट्स की नियुक्ति और प्रशिक्षण की स्थिति की भी गहन समीक्षा की। इन अधिकारियों की भूमिका मतदाता सूची के अद्यतन और निर्वाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन में मतदाता जागरूकता, तकनीकी उन्नयन और क्षेत्रीय चुनौतियों पर भी चर्चा की गई, ताकि आगामी निर्वाचनों में कोई कमी न रहे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि स्वच्छ और समावेशी मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव है। उन्होंने सभी सीईओ को निर्देश दिए कि वे अपने राज्यों में एसआईआर प्रक्रिया को पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ लागू करें। आयोग ने तकनीक के उपयोग, जैसे ऑनलाइन पंजीकरण और डिजिटल मैपिंग, को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया ताकि मतदाताओं को सुविधा हो और त्रुटियों की संभावना कम हो।