क्या मुंबई में डीजीजीआई ने बेनामी कंपनियों के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया?

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क्या मुंबई में डीजीजीआई ने बेनामी कंपनियों के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया?

सारांश

मुंबई में जीएसटी खुफिया महानिदेशालय ने बेनामी कंपनियों के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। मुख्य आरोपी दो भाई गिरफ्तार हुए हैं, जो कई फर्जी कंपनियों का संचालन कर रहे थे। यह कार्रवाई जीएसटी प्रणाली में धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

Key Takeaways

  • डीजीजीआई ने बेनामी कंपनियों के रैकेट का पर्दाफाश किया।
  • मुख्य आरोपी जाहिर और अकरम पटेल को गिरफ्तार किया गया।
  • फर्जी कंपनियों ने 141.30 करोड़ रुपये का धोखाधड़ी किया।
  • जांच में कई दस्तावेज और कंप्यूटर जब्त किए गए हैं।
  • भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों को तेज किया जाएगा।

मुंबई, 13 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की मुंबई क्षेत्रीय इकाई ने डेटा विश्लेषण, मानव खुफिया और जांच उपकरणों का उपयोग करके बेनामी और शेल कंपनियों के एक बड़े रैकेट का खुलासा किया है।

इस रैकेट के मुख्य आरोपी जाहिर अब्बास पटेल और उनके भाई अकरम पटेल को 11 सितंबर को गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई जीएसटी प्रणाली में धोखाधड़ी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें करोड़ों रुपये का सरकारी राजस्व प्रभावित हुआ था।

डीजीजीआई के अधिकारियों ने कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। इसमें शामिल व्यक्तियों के बयान, बैंक स्टेटमेंट और दस्तावेजों की जांच से पता चला कि जाहिर अब्बास पटेल ने अपने भाई अकरम के साथ मिलकर कई बेनामी कंपनियां बनाई थीं।

उन्होंने विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर धोखाधड़ी से कंपनियां पंजीकृत की और उनके केवाईसी (नो योर कस्टमर) दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल किया। इन कंपनियों के नाम पर बिना किसी वास्तविक माल या सेवा की आपूर्ति के फर्जी चालान जारी किए गए। इन फर्जी चालानों की कुल वैल्यू 141.30 करोड़ रुपये थी, जिसमें 27.10 करोड़ रुपये का जीएसटी शामिल था। इसका उद्देश्य इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का गलत फायदा उठाना था, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ।

आरोपियों ने लोगों को लालच देकर उनके दस्तावेज लिए और कंपनियां खोली। ये कंपनियां केवल कागजों पर थीं, कोई वास्तविक व्यापार नहीं होता था। फर्जी चालानों से पैसे का हेरफेर किया जाता था, जो टैक्स चोरी का बड़ा नेटवर्क था। गिरफ्तारी के बाद दोनों भाइयों से पूछताछ जारी है।

वहीं, अधिकारियों ने बताया कि यह रैकेट लंबे समय से सक्रिय था और इसमें कई अन्य लोग शामिल हो सकते हैं। तलाशी में कई दस्तावेज, कंप्यूटर और बैंक रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं।

यह मामला जीएसटी सिस्टम में शेल कंपनियों की बढ़ती समस्या को उजागर करता है। डीजीजीआई ने कहा कि आगे की जांच से रैकेट के अन्य सदस्यों का पता लगाया जाएगा। यदि अपराध साबित हुआ, तो आरोपी को कड़ी सजा हो सकती है।

इसके अलावा, मुंबई क्षेत्रीय इकाई के महानिदेशक ने बताया कि डेटा एनालिटिक्स ने इस रैकेट को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों को तेज किया जाएगा। फिलहाल, दोनों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं और जांच जारी है।

Point of View

NationPress
13/09/2025

Frequently Asked Questions

डीजीजीआई ने किस तरह से बेनामी कंपनियों के रैकेट का भंडाफोड़ किया?
डीजीजीआई ने डेटा विश्लेषण, मानव खुफिया और जांच उपकरणों का उपयोग करके बेनामी और शेल कंपनियों के रैकेट का पर्दाफाश किया।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम क्या हैं?
मुख्य आरोपी हैं जाहिर अब्बास पटेल और अकरम पटेल।
इस रैकेट से सरकार को कितना नुकसान हुआ?
इस रैकेट ने सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
क्या आगे की जांच में और भी लोग शामिल हो सकते हैं?
हां, अधिकारियों का मानना है कि इस रैकेट में कई अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं।
क्या आरोपियों को सजा मिलेगी?
यदि अपराध साबित होता है, तो आरोपियों को कड़ी सजा मिल सकती है।