क्या नकली खाद की बिक्री रोकने के लिए राज्यों के मुख्यमंत्री सख्त कदम उठाएंगे? : शिवराज सिंह चौहान

सारांश
Key Takeaways
- किसानों की भलाई सर्वोपरि है।
- नकली खाद की बिक्री पर रोक आवश्यक है।
- सरकार को किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
- फसल बीमा को सुचारू बनाना आवश्यक है।
- सभी स्तरों पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
सीहोर, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नकली खाद की बिक्री रोकने हेतु ठोस कदम उठाने पर जोर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है।
कृषि मंत्री चौहान ने संसदीय क्षेत्र विदिशा स्थित सीहोर के किसानों को खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर कार्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। इस बैठक में शिवराज सिंह ने निर्देश दिए कि किसानों को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, खाद सभी को मिलनी चाहिए। बैठक में वर्चुअल माध्यम से केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और उर्वरक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ भोपाल से जुड़े राज्य सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे उर्वरक कंपनियों से समन्वय कर खाद वितरण की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें।
शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर के लिए डीएपी के अतिरिक्त रैक दिलाने के लिए मंत्रालय स्तर पर फॉलोअप करने को कहा। इसके साथ ही, रबी की बोवनी को सुचारू रूप से संपन्न करने के लिए किसानों को टोकन नंबर देने के साथ-साथ बैठने और पेयजल जैसी सुविधाएं वितरण केंद्रों पर उपलब्ध कराने के लिए भी दिशा-निर्देश दिए।
उन्होंने किसानों से खाद के साथ टैगिंग (अन्य उत्पादों की जबरन बिक्री) की शिकायतों और ब्लैकमेलिंग के मामलों में कठोरतम कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि नकली खाद बेचना महापाप है। उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नकली या घटिया खाद के मामले में कड़ी कार्रवाई करने के लिए पत्र भेजे हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि किसानों को यह प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अन्य प्रकार की खाद के अलावा यदि एनपीके उपलब्ध हो तो वह भी ले लें। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी विभागों को किसानों के मामलों में संवेदनशीलता से कार्य करना चाहिए, क्योंकि हमारे लिए किसान सर्वोपरि हैं।
उन्होंने बैठक में कहा कि किसानों को अतिवर्षा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए सोयाबीन और अन्य फसलों के नुकसान की भरपाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और आरबीसी छह-चार के प्रावधानों के तहत की जाए। निजी बैंकों के स्तर पर भी किसानों द्वारा जमा की जाने वाली प्रीमियम और फसल बीमा के क्लेम मिलने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन स्तर पर नुकसान का सर्वे सही तरीके से होना चाहिए, वहीं बीमा कंपनियों को क्लेम देने की प्रक्रिया को अच्छी तरह से लागू करना चाहिए। जहां आवश्यकता हो, एसडीएम को अपनी टीम भेजने को कहा। यदि पुराने मामलों में किसानों को क्लेम नहीं मिल पाया हो, तो उन्हें क्रॉसचेक कराया जाए। कुल मिलाकर, किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए।