क्या नए लेबर कोड से श्रमिकों को होगा सीधा लाभ? सरकार का निर्णय ऐतिहासिक: हरेंद्र गर्ग
सारांश
Key Takeaways
- नए श्रम कानूनों से श्रमिकों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी।
- ओवरटाइम का दोगुना भुगतान होगा।
- महिला श्रमिकों के लिए समान वेतन का प्रावधान।
- सरकार और उद्योग के बीच सकारात्मक संबंध बनेगा।
- श्रमिकों का कल्याण प्राथमिकता में रहेगा।
हरिद्वार, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने पुराने 29 लेबर कोड को समाप्त करके चार नए लेबर कोड लागू करने का निर्णय लिया है, जिसे उद्योग जगत ने ऐतिहासिक सुधार माना है। सिडकुल मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग ने इसे सरकार द्वारा सभी के हित में उठाया गया कदम बताया है।
हरेंद्र गर्ग ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से श्रम क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं, जिनका सीधा लाभ देश के करोड़ों श्रमिकों तक पहुंच रहा है। श्रम कोड का निर्माण दो वर्ष पूर्व ही शुरू हो गया था और राज्यों से अनुरोध किया गया था कि नए नियमों के अनुरूप अपने-अपने प्रदेशों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें।"
उन्होंने आगे कहा कि नए कानून लागू होने से श्रमिकों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे, जिनमें ओवरटाइम का दोगुना पैसा प्रमुख है। श्रम कानून में केंद्र और राज्य की दोहरी व्यवस्था होती है और राज्यों की ओर से स्थानीय जरूरतों के अनुसार नियम लागू किए जा रहे हैं। खासकर उत्तराखंड जैसे राज्यों में, जहाँ महिला श्रमिकों की संख्या अधिक है, महिलाओं और पुरुषों के लिए समान वेतन का प्रावधान एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में महिला कर्मचारियों का सम्मान और सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता रही है। नए कानून इस संवेदनशीलता को और मजबूत करेंगे। उद्योगपतियों को तब अधिक लाभ होता है जब लेबर कानून सटीक, व्यावहारिक और पालन करने में सरल हों। ऐसे मामलों में, उन्हें निश्चित रूप से लाभ होता है। श्रमिक भी सामान्य तौर पर अच्छी स्थिति में होते हैं। जब श्रमिक और उद्योग मालिक दोनों के हित एक जैसे होते हैं तो यह एक सकारात्मक स्थिति बनाता है।
सिडकुल मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने भी योजनाएं बनाई हैं ताकि प्रत्येक श्रमिक को लाभ मिल सके, चाहे वह संगठित क्षेत्र में हो या असंगठित। किसी भी प्रकार का पक्षपात न हो सके और उन्हें मूलभूत सुविधाएं भी मिल सकें।