क्या एनडीए के कार्यकाल के दौरान बिहार में कोई काम नहीं हुआ? : मनोज कुमार

सारांश
Key Takeaways
- एनडीए सरकार के कार्यकाल में बिहार में कोई ठोस कार्य नहीं हुआ।
- मनोज कुमार ने महागठबंधन की सरकार बनने की संभावना जताई।
- बिहार में बाढ़ और गरीबी के मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- महिलाओं को मिलने वाले पेंशन वादों पर सवाल उठाए गए।
नई दिल्ली, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के सासाराम से कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने एनडीए गठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि एनडीए सरकार के कार्यकाल में बिहार में कोई ठोस कार्य नहीं हुआ। उन्होंने राज्य की बदहाली और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। मनोज कुमार ने दावा किया कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है।
मनोज कुमार ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी बिहार के सिवान आए थे, तब उन्होंने राज्य की बदहाली का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पीएम ने बिहार की स्थिति के लिए हाथ का पंजा और लालटेन का नाम लिया। उनका तर्क था कि भाजपा-जेडीयू ने मिलकर लगभग 20 वर्षों तक राज्य चलाया, फिर भी पीएम का यह आरोप समझ से बाहर है।
उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए के कार्यकाल में बिहार के विकास के लिए क्या किया गया? युवाओं को पीटा गया, और किसानों की स्थिति बेहद खराब है। बिहार में बाढ़ एक गंभीर मुद्दा है, और लोगों को आशा थी कि पीएम इस पर कुछ कहेंगे, लेकिन वे चुप रहे। अगर एनडीए सरकार बाढ़, गरीबी, और बेरोजगारी नहीं रोक पाई, तो फिर बिहार के लिए क्या किया?
उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि शिलान्यास और उद्घाटन करना अच्छी बात है, लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करना भी आवश्यक है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है, और सभी समुदाय के लोग इंडिया गठबंधन का समर्थन करेंगे।
बिहार में पेंशन राशि में वृद्धि पर उन्होंने कहा कि चुनाव आ गए हैं, यह केवल प्रचार का एक हिस्सा है। चुनाव के बाद यह सब भुला दिया जाएगा। दिल्ली में एनडीए ने वादा किया था कि सभी महिलाओं को 2,500 रुपये दिए जाएंगे, लेकिन कितनी महिलाओं को यह राशि मिली? तेलंगाना और झारखंड में जो वादे किए गए, उन्हें पूरा किया गया। आप जनता को लंबे समय तक भ्रमित नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को राहुल गांधी के सवाल का उत्तर देना चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि उनके क्षेत्र में 1 जून 2024 को मतदान हुआ था, जिसमें शाम को 51 प्रतिशत मतदान दिखाया गया। लेकिन दो दिन बाद पता चला कि मतदान 57 प्रतिशत हुआ। ऐसे में भ्रमित होना स्वाभाविक है।