क्या एनडीए विपक्ष को बदनाम करने की साजिश रच रहा है?: स्वामी प्रसाद मौर्य

सारांश
लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह पीएम मोदी के विवादास्पद बयान से विपक्ष को बदनाम करने की साजिश कर रही है। बिहार बंद के संदर्भ में उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत की।
Key Takeaways
- स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा की साजिश का आरोप लगाया।
- बिहार बंद का आह्वान किया गया।
- विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश हो रही है।
- कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- जीएसटी सुधारों पर असंतोष व्यक्त किया गया।
लखनऊ, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीएम मोदी पर की गई अपमानजनक टिप्पणी को लेकर यह दावा किया है कि यह भाजपा की एक साजिश है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष ने जानबूझकर इसे अंजाम दिया ताकि विपक्ष को बदनाम किया जा सके।
बिहार के दरभंगा जिले में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान पीएम मोदी पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के कारण गुरुवार को एनडीए ने बिहार बंद का आह्वान किया। एनडीए में शामिल पार्टियां लगातार राजद और कांग्रेस पर हमलावर हैं। ये पार्टियां तेजस्वी यादव और राहुल गांधी से माफी मांगने की अपील कर रही हैं।
बिहार बंद पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस व्यक्ति ने अपशब्द कहे, उसकी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कई तस्वीरें सामने आई हैं।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने इस घटना को भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रायोजित एक साजिश करार दिया, जिसका मुख्य उद्देश्य विपक्ष को बदनाम करना है। उन्होंने कहा कि सच्चाई कुछ और है, और चूंकि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार है, इसलिए ऐसी घटनाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होना आवश्यक है।
मौर्य ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी के खिलाफ तुरंत कोर्ट में शिकायत दर्ज की जाती है, लेकिन आरोपी के खिलाफ कार्रवाई न होना यह दिखाता है कि भाजपा इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है।
एबीवीपी के विरोध प्रदर्शन पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर एबीवीपी के छात्रों के साथ कोई अन्याय हुआ है तो उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या किसी अन्य मंत्री से मिलकर अपनी शिकायतें दर्ज करानी चाहिए।
मौर्य ने कहा कि अपशब्दों का प्रयोग न तो व्यावहारिक है और न ही उचित।
जीएसटी के स्लैब में हुए सुधार पर उन्होंने कहा कि सुधार के नाम पर केवल मरहम लगाने का काम किया जा रहा है, जिसका कोई वास्तविक अर्थ नहीं निकलता। लोग परेशान हैं, और इन सुधारों की आवाज को सुनने वाला कोई नहीं है।