क्या नोएडा में लाखों श्रद्धालुओं ने छठ महापर्व पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया?
सारांश
Key Takeaways
- छठ महापर्व का आयोजन हर साल कार्तिक मास में होता है।
- भगवान भास्कर की उपासना का यह पर्व सामाजिक एकता को दर्शाता है।
- छठ पूजा में पारंपरिक खाद्य पदार्थों का विशेष महत्व है।
- यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है।
- छठ महापर्व के दौरान भक्तों का उत्साह देखने योग्य होता है।
नोएडा, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा में सोमवार को लाखों छठव्रतियों ने अनन्य श्रद्धा के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। शहर के सेक्टर-75, यमुना और हिंडन नदी के घाटों के साथ-साथ विभिन्न सेक्टरों और गांवों में बने लगभग 200 छठ घाटों पर छठ पूजा का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। रंग-बिरंगी सजावट, रोशनी और भक्ति गीतों से सम्पूर्ण वातावरण छठमय हो गया।
पूरे दिन छठव्रतियों ने गेहूं, घी और शक्कर से बने ठेकुआ और चावल के लड्डू जैसे पारंपरिक प्रसाद तैयार किए। बांस के बने सूप, डाला, दौरा और टोकरी में सेब, केला, अमरूद, नारंगी, नींबू, सिंघाड़ा, ईख, अदरक, हल्दी, मूली, कच्चा नारियल, चीनी की मिठाई और पूजा सामग्री सजाई गई। सूर्यास्त से पहले व्रती प्रसाद लेकर घाटों की ओर चल पड़े।
छठ घाटों पर पहुंचकर छठव्रतियों ने जल में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और आरोग्य की देवी छठी मैया की उपासना की। इस अवसर पर श्रद्धालु अपने परिवार के साथ उपस्थित रहे और भगवान भास्कर से सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
सेक्टर-75 स्थित सेंट्रल पार्क के छठ घाट पर श्री सूर्यदेव पूजा समिति नोएडा द्वारा भव्य छठ महोत्सव का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में अखिल भारत हिंदू महासभा और अखिल भारतीय प्रवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मुन्ना कुमार शर्मा ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि छठ पर्व सूर्य उपासना का महान लोकपर्व है, जो सामाजिक एकता, पर्यावरण संरक्षण और पारिवारिक एकजुटता का संदेश देता है।
उन्होंने कहा, “डूबते सूर्य को अर्घ्य देना बुजुर्गों के प्रति सम्मान और परंपरा के प्रति समर्पण का प्रतीक है।” उन्होंने बताया कि मंगलवार को प्रातःकाल कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जिसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाएगा। अर्घ्य अर्पण के उपरांत व्रतीजन भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा-अर्चना कर ‘पारण’ करेंगे। इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर परिवार, पड़ोसियों और श्रद्धालुओं के साथ इस लोकपर्व का समापन किया जाएगा।