क्या ओडिशा के नवीन पटनायक द्वारा वेतन न लेने का फैसला राजनीति है?
सारांश
Key Takeaways
- नवीन पटनायक का वेतन न लेना एक राजनीतिक बयान है।
- उपमुख्यमंत्री ने इसे राजनीतिक खेल कहा है।
- बीजद पिछले कुछ वर्षों से वेतन बढ़ोतरी की मांग कर रही थी।
- ओडिशा विधानसभा ने हाल ही में विधायकों के वेतन में वृद्धि की है।
भुवनेश्वर, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा में नेता प्रतिपक्ष नवीन पटनायक के द्वारा बढ़े हुए वेतन और भत्ते नहीं लेने के निर्णय ने एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव ने रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें विधानसभा में अपने विचार व्यक्त करने का अवसर मिला था। उन्होंने सवाल उठाया कि पटनायक ने विधानसभा में अपने विचार क्यों नहीं रखे? इसे वह सरासर राजनीति मानते हैं।
भाजपा के वरिष्ट नेता जयनारायण मिश्रा ने बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक पर तंज कसते हुए कहा कि पटनायक के पास पर्याप्त धन है और उन्हें इस बढ़ी हुई तनख्वाह और भत्तों की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा सदस्यों के वेतन में वृद्धि की मांग बीजद के नेताओं ने ही की थी।
इससे पहले, शनिवार को बीजद अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी को पत्र लिखकर वेतन और भत्ते छोड़ने की जानकारी दी थी। पटनायक ने कहा कि वर्ष 2015 में उनके परिवार ने कटक स्थित अपनी पुश्तैनी संपत्ति 'आनंद भवन' को ओडिशा के लोगों के कल्याण के लिए दान करने का निर्णय लिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री मांझी से अनुरोध किया कि वे उनके वेतन और भत्तों का उपयोग जनता और सरकार के कल्याण के लिए करें।
पटनायक ने लिखा, "इसी भावना से प्रेरित होकर, मैं विपक्ष के नेता के वेतन और भत्तों में हाल की ओडिशा विधानसभा द्वारा की गई वृद्धि को अस्वीकार करना चाहता हूं। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप इस राशि का उपयोग हमारे राज्य के गरीब लोगों के कल्याण के लिए करें।"
इस बीच, बीजद नेता गणेश्वर बेहरा ने वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी को उचित ठहराते हुए कहा कि बीजद पिछले कुछ वर्षों से इस बढ़ोतरी की मांग कर रही है।
ओडिशा विधानसभा ने हाल ही में चार विधेयक पारित किए हैं, जिनसे विधायकों, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, मंत्रियों, विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री के वेतन और भत्तों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।