क्या ओडिशा विधानसभा में गांधी और शास्त्री की जयंती पर कार्यक्रम हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई।
- राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
- सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ।
- गांधी जी के जीवन पर विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन।
- आर्थिक सशक्तिकरण के लिए श्रमिकों का समर्थन करने का आह्वान।
भुवनेश्वर, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा विधानसभा में गुरुवार को महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती का आयोजन एक भव्य समारोह में किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी, अन्य मंत्री और विधायक उपस्थित रहे।
विधानसभा परिसर में एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गांधी जी के जीवन और उनके ओडिशा दौरे की विशेष प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "ओडिशा विधानसभा परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई जा रही है।"
उन्होंने आगे कहा, "महात्मा गांधी का 'राम राज्य' का दृष्टिकोण और लाल बहादुर शास्त्री की सादगी और समर्पण के आदर्श आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनका जीवन हमें सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता पर आधारित समाज बनाने के लिए प्रेरित करता है। मैं सभी से अपील करती हूं कि वे हमारे कारीगरों और श्रमिकों का समर्थन करें, क्योंकि उनकी आजीविका को मजबूत करना ही राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का सच्चा मार्ग है।"
विधानसभा ने दोनों नेताओं को पुष्पांजलि अर्पित कर भारत की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और नैतिक मूल्यों में उनके योगदान को पुनः स्मरण किया।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "सत्य और अहिंसा के प्रतीक 'महात्मा गांधी' को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका दिखाया स्वदेशी और स्वावलंबन का मार्ग 'विकसित भारत' की नींव बन गया है। उनके आदर्श सदैव हमारे लिए प्रेरणादायी रहेंगे।"
उन्होंने भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देते हुए एक अन्य पोस्ट में लिखा, "पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में ही देश में 'श्वेत क्रांति' और 'हरित क्रांति' का सूत्रपात हुआ। स्वदेशी विचारों और सादा जीवन शैली के माध्यम से देश में शांति और मैत्री स्थापित करने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।"