क्या आपको नहीं पच रहा भोजन? बार-बार जाना पड़ रहा वॉशरूम! जानें आयुर्वेद में बताए नुस्खे

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क्या आपको नहीं पच रहा भोजन? बार-बार जाना पड़ रहा वॉशरूम! जानें आयुर्वेद में बताए नुस्खे

सारांश

क्या आप भी पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं? ग्रहणी दोष एक गंभीर विकार है जो पाचन शक्ति की कमी के कारण होता है। जानें इसके लक्षण, कारण और आयुर्वेद में बताई गई प्रभावी उपचार विधियाँ।

Key Takeaways

  • ग्रहणी दोष पाचन विकार है जो पाचन शक्ति की कमी से होता है।
  • लक्षणों में बार-बार दस्त और पेट में भारीपन शामिल हैं।
  • आयुर्वेद में इसके लिए विशेष आहार और योग की सलाह दी जाती है।
  • हल्का भोजन और प्राणायाम इसके उपचार में सहायक होते हैं।
  • तनाव और चिंता से बचना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ग्रहणी दोष को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण पाचन विकार माना जाता है। यह मुख्यतः पाचन शक्ति की कमजोरी और आंतों के कार्य में असामान्यता के कारण उत्पन्न होता है। इसे आधुनिक चिकित्सा में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) के नाम से जाना जाता है।

आयुर्वेद में 'ग्रहणी' का उद्देश्य है कि खाया गया भोजन ठीक से पच जाए और शरीर को ऊर्जा प्रदान करे। जब यह अंग सही से कार्य नहीं करता है, तो भोजन अपचित रह जाता है और व्यक्ति को बार-बार दस्त, अपच, और कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो शरीर में पोषण की कमी हो सकती है।

ग्रहणी दोष का सबसे बड़ा कारण पाचन अग्नि (शक्ति) का कमजोर होना है, जिसे आयुर्वेद में अग्निमांद्य कहा जाता है। जब व्यक्ति अनियमित भोजन करता है, अधिक तला-भुना या पुराना खाना खाता है, या अत्यधिक चिंता और तनाव में रहता है, तो अग्नि कमजोर हो जाती है। इससे भोजन का पाचन सही से नहीं हो पाता और अधपचा भोजन आंतों में सड़ने लगता है, जिससे गैस, बदबूदार दस्त, और बार-बार शौच जाने की इच्छा जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

ग्रहणी दोष के लक्षणों में बार-बार दस्त, मल में अधपचा भोजन आना, पेट में भारीपन, भूख कम लगना, गैस बनना, कमजोरी और थकान शामिल हैं। कुछ मरीजों में खाना खाते ही शौच जाने की तीव्र इच्छा पैदा होती है। यह रोग वात, पित्त और कफ के असंतुलन से होता है, इसलिए आयुर्वेद में इसके चार प्रकार बताए गए हैं: वातज, पित्तज, कफज और सन्निपातज ग्रहणी।

ग्रहणी दोष के उपचार के लिए आयुर्वेद में विशेष आहार, औषधियां और जीवनशैली को अपनाने की सलाह दी जाती है। हल्का भोजन जैसे मूंग की खिचड़ी, बेल का शरबत, छाछ और जीरा पानी बेहद फायदेमंद माना जाता है। रोगियों को गरिष्ठ, मसालेदार, तला-भुना और बासी भोजन से बचना चाहिए।

योग और प्राणायाम भी ग्रहणी दोष को कम करने में सहायक होते हैं। पवनमुक्तासन, वज्रासन, अग्निसार क्रिया और अनुलोम-विलोम प्राणायाम से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है, जिससे पाचन विकार कम होते हैं।

सौंफ और अजवाइन की चाय, अदरक का रस और शहद, छाछ में पुदीना, इसबगोल और गुनगुना दूध और हींग का पानी पीना भी बहुत फायदेमंद होता है।

Point of View

NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

ग्रहणी दोष क्या है?
ग्रहणी दोष एक पाचन विकार है जो पाचन शक्ति की कमी के कारण होता है।
ग्रहणी दोष के लक्षण क्या हैं?
लक्षणों में बार-बार दस्त, पेट में भारीपन, भूख कम लगना और गैस बनना शामिल हैं।
ग्रहणी दोष का इलाज कैसे किया जा सकता है?
आयुर्वेद में विशेष आहार, औषधियां और योग द्वारा इसका उपचार किया जा सकता है।
क्या योग से ग्रहणी दोष में सुधार हो सकता है?
हाँ, योग और प्राणायाम से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है।
कौन सी चीजें ग्रहणी दोष में लाभकारी हैं?
हल्का भोजन, सौंफ और अदरक की चाय, और प्राणायाम लाभकारी होते हैं।