क्या पैसे देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना सही है? असलम शेख का बयान

सारांश
Key Takeaways
- धर्म परिवर्तन को लेकर असलम शेख की चिंता महत्वपूर्ण है।
- जबरन धर्म परिवर्तन गलत है।
- सरकार को बुनियादी विकास पर ध्यान देना चाहिए।
मुंबई, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को यह घोषणा की कि यदि कोई व्यक्ति, जो हिंदू, बौद्ध या सिख धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म से संबंधित है, ने धोखाधड़ी से अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र प्राप्त किया है, तो उसे रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी ने ऐसे प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी प्राप्त की है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता असलम शेख ने कहा कि इस मुद्दे में दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। एक तरफ केंद्र और राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए हजारों करोड़ रुपये का कल्याणकारी प्रावधान करती हैं, ताकि उनका उत्थान हो सके। लेकिन यदि किसी को जबरन पैसे देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह न केवल गलत है, बल्कि इस कल्याणकारी उद्देश्य के खिलाफ भी है।
असलम शेख ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति ओबीसी वर्ग से है और किसी अन्य धर्म या जाति में जाता है, तो उसे चुनावी अधिकार, विधायक, सांसद या नगरसेवक बनने का अधिकार मिलता है। लेकिन यदि यह मामला एससी वर्ग के किसी व्यक्ति का हो, तो उसका धर्म परिवर्तन उसके अधिकारों को छीनने का कारण बन जाता है। यही भेदभावपूर्ण रवैया है।
उन्होंने कहा कि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने पर भी जाति स्वतः नहीं बदलती। कुछ लोग इस मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि नगरसेवकों, विधायकों और सांसदों के लिए इस संबंध में स्पष्ट नीति बननी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज के लिए आवंटित कल्याणकारी फंड का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
इस्लामपुर का नाम बदलकर ईश्वरपुर करने के प्रस्ताव पर शेख ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि केवल नाम बदलने से कोई बदलाव नहीं आता। उन्होंने संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां आज भी पानी की किल्लत, टूटी सड़कें और अस्वच्छ गलियां हैं।
शेख ने कहा कि किसी शहर को ऐतिहासिक या धार्मिक नाम देने से पहले उसे उस नाम के अनुरूप विकसित करना जरूरी है। जनता को नाम बदलने से ज्यादा बेहतर सड़कें, स्वच्छ पानी और बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि नाम बदलने की राजनीति के बजाय बुनियादी विकास पर ध्यान दिया जाए। शेख ने कहा कि जनता की प्राथमिकता सुविधाएं हैं, न कि प्रतीकात्मक नाम परिवर्तन। सरकार को चाहिए कि वह विकास के मूलभूत मुद्दों पर काम करे, ताकि लोगों का जीवन स्तर सुधरे।