क्या पलामू में क्रिसमस उत्सव यात्रा ने जनमानस को एकजुट किया?
सारांश
Key Takeaways
- पलामू में क्रिसमस उत्सव यात्रा ने सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया।
- कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने शांति और प्रेम का संदेश दिया।
- यात्रा में विभिन्न समुदायों के लोग शामिल हुए।
- क्रिसमस के भक्ति गीतों ने उत्सव का आनंद बढ़ाया।
- यह उत्सव सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बना।
पलामू, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड राज्य के पलामू जिले के मुख्यालय मेदिनीनगर में शनिवार को क्रिसमस का उत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया गया। मसीही धर्मावलंबियों ने शहरी क्षेत्र में एक भव्य और उत्साहपूर्ण क्रिसमस उत्सव यात्रा का आयोजन किया, जिसने पूरे शहर को उत्सव के रंग में रंग दिया। इस विशेष अवसर पर झारखंड सरकार की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं, जिससे कार्यक्रम की रौनक और भी बढ़ गई।
इस उत्सव यात्रा में केवल मसीही समुदाय के लोग ही नहीं, बल्कि शहर के विभिन्न वर्गों के नागरिक भी शामिल हुए। सभी के चेहरों पर खुशी का भाव स्पष्ट था। यात्रा का उद्देश्य पलामू वासियों को क्रिसमस की शुभकामनाएं देना और समाज में शांति, प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाना था। यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी और हर स्थान पर लोगों ने इसका गर्मजोशी से स्वागत किया।
पूरे रास्ते का माहौल उत्सवमय बना रहा। बच्चे और युवा सांता क्लॉज की टोपी पहनकर उत्साह के साथ चल रहे थे। प्रभु यीशु के भक्ति गीत और क्रिसमस कैरोल की मधुर धुनें वातावरण को आनंदमय बना रही थीं। लोग गानों पर झूमते-गाते चल रहे थे और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे पूरा शहर एक साथ खुशियां मना रहा हो। इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे को मुस्कुराते हुए बधाइयां दीं।
कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। उन्होंने पलामू वासियों को क्रिसमस और आने वाले नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु ने दुनिया को शांति, करुणा और प्रेम का संदेश दिया है और आज के समय में इन मूल्यों को अपनाने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे प्रभु यीशु के बताए मार्ग पर चलें और समाज को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।
पूरी यात्रा के दौरान लोगों ने एक-दूसरे को न केवल क्रिसमस बल्कि आने वाले नए साल की भी अग्रिम शुभकामनाएं दीं। यह उत्सव यात्रा पलामू में सामाजिक समरसता, सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत उदाहरण बनी।