दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र: क्या शिक्षा बिल की प्रशंसा और विपक्ष की आलोचनाएं हैं?

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दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र: क्या शिक्षा बिल की प्रशंसा और विपक्ष की आलोचनाएं हैं?

सारांश

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र आरंभ हो चुका है, जिसमें शिक्षा बिल, भ्रष्टाचार के आरोप और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा हुई। इस सत्र में भाजपा और आप के विधायकों ने अपने विचार साझा किए हैं। जानिए इस सत्र में क्या महत्वपूर्ण हुआ।

Key Takeaways

  • दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू हुआ।
  • शिक्षा बिल पर चर्चा हो रही है।
  • भाजपा और आप के विधायकों के बीच विचारों का आदान-प्रदान।
  • सत्र को पूरी तरह पेपरलेस बनाया जा रहा है।
  • विपक्ष ने सरकार की नीतियों की आलोचना की।

नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र आज से आरंभ हुआ। इस सत्र में शिक्षा बिल, भ्रष्टाचार के आरोपों और 'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों ने सत्र की शुरुआत में अपने विचार प्रस्तुत किए, जिसमें सरकार के निर्णयों की प्रशंसा और आलोचना दोनों शामिल थीं।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मंत्री पंकज सिंह ने शिक्षा बिल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बिल उन बच्चों के लिए लाभकारी होगा, जो शिक्षा से वंचित हैं। उन्होंने मंत्री आशीष सूद की सराहना करते हुए कहा कि यह बिल माता-पिता को राहत देगा और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

मंत्री कपिल मिश्रा ने इस सत्र को शानदार और नवीन बताया और कहा कि इस बार विधानसभा में तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यह पूरी तरह पेपरलेस बनेगा। उन्होंने दावा किया कि पिछले दस वर्षों में जो काम नहीं हुए, वे अब पूरे होंगे। उन्होंने विधानसभा के नए स्वरूप की प्रशंसा की और इसे आधुनिक बनाने के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की।

भाजपा विधायक हरीश खुराना ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण करार देते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा पहली बार पूरी तरह पेपरलेस हो रही है, जो पहले ही हो जानी चाहिए थी।

खुराना ने पूर्व की 'आप' सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने यह कदम क्यों नहीं उठाया? उन्होंने बताया कि सत्र में शिक्षा बिल पर चर्चा होगी और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की दो रिपोर्ट पेश की जाएंगी। इनमें पूर्व सरकार के कथित घोटालों, जैसे निर्माण श्रमिकों और भीम योजना से जुड़े मामलों पर चर्चा होगी।

वहीं, विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) ने सरकार के शिक्षा बिल और अन्य नीतियों की कड़ी आलोचना की। ‘आप’ विधायक कुलदीप कुमार ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से दिल्ली के निजी स्कूलों की फीस लगातार बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने फीस नियंत्रण का वादा किया था, लेकिन यह बिल निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति देता है, जो अभिभावकों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने सरकार पर निजी स्कूलों के साथ खड़े होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह बिल अभिभावकों के अधिकारों को कमजोर करता है।

‘आप’ विधायक अनिल झा ने शिक्षा पारदर्शिता बिल को झूठा करार दिया। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार झुग्गी-झोपड़ियों को हटा रही है, जहां से बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, और दूसरी ओर पारदर्शिता बिल की बात कर रही है।

उन्होंने दावा किया कि दिल्ली की 40 प्रतिशत आबादी झुग्गी बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है और सरकार की नीतियां इन लोगों को शहर से बाहर करने की हैं। उन्होंने कहा कि यह बिल पारदर्शिता के नाम पर केवल दिखावा है।

Point of View

बल्कि यह भी दिखाएगा कि किस प्रकार सरकार और विपक्ष नीति निर्माण में एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
NationPress
04/08/2025