क्या पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान नहीं होने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट?

सारांश
Key Takeaways
- पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से दंडात्मक प्रावधान लाने की मांग की है।
- किसानों का सम्मान होना चाहिए, लेकिन पर्यावरण का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
- यदि कुछ लोग जेल में हैं, तो यह एक सही संदेश होगा।
- पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि इस मुद्दे पर पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं लागू किए जा रहे हैं? क्या सरकार कार्रवाई से पीछे हट रही है? कुछ लोगों को जेल भेजने से सही संदेश जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम किसानों का सम्मान करते हैं, क्योंकि वे हमें भोजन प्रदान करते हैं, लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की किसी को अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्यों नहीं वे किसानों के लिए कुछ दंडात्मक प्रावधानों पर विचार कर रहे हैं?
यदि कुछ लोग जेल में हैं, तो यह एक सही संदेश होगा। अगर आपका इरादा पर्यावरण की रक्षा करने का है, तो कार्रवाई से डर क्यों?
अदालत ने सरकार से कहा कि हमारे देश में किसानों का विशेष महत्व है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे इसका अनुचित लाभ उठाएं। अगर सरकार इस मुद्दे पर निर्णय नहीं लेती, तो अदालत आदेश जारी करेगी। गलती करने वाले अधिकारियों की बात छोड़ दें, क्योंकि हर किसान पर नजर रखना मुश्किल है।
मुख्य न्यायाधीश ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट से पूछा, "आप पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान लाने पर विचार क्यों नहीं कर रहे हैं?"
यह बातें सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर से संबंधित राज्यों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में खाली पदों को नहीं भरने पर अवमानना नोटिस के संदर्भ में कहीं।
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में हर वर्ष अक्टूबर और नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पराली जलाने के कारण दिल्ली एनसीआर की हवा प्रदूषित हो जाती है।
इन राज्यों के किसान पराली को खेतों से हटाने के बजाय जला देते हैं। पराली जलाने की घटनाएं हर साल होती रहती हैं।