क्या पटना में छात्रों का प्रदर्शन डोमिसाइल नीति की मांग को लेकर है?

सारांश
Key Takeaways
- डोमिसाइल नीति की मांग पर छात्रों का प्रदर्शन जारी है।
- छात्र चाहते हैं कि बिहार में भी अन्य राज्यों की तरह स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता मिले।
- प्रदर्शन का नारा है 'डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं'।
- छात्र नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे वोट का बहिष्कार करेंगे।
- बिहार में सरकारी नौकरियों में बाहरी प्रतियोगिता को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।
पटना, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में स्थायी निवास प्रमाण नीति की मांग को लेकर छात्र एक बार फिर सड़क पर उतर आए हैं। इस प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने 'डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं' का नारा बुलंद किया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार डोमिसाइल नीति लागू नहीं करती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
छात्र नेता दिलीप कुमार ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा, "बिहार में भी अन्य राज्यों की तरह डोमिसाइल नीति लागू की जानी चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "देश के कई राज्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डोमिसाइल नीति लागू है। वहां स्थानीय युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है, तो फिर बिहार में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?" उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में उद्योगों और फैक्ट्रियों की भारी कमी है। ऐसे में अगर बिहार के युवाओं को सरकारी नौकरियों में भी बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों से मुकाबला करना पड़े, तो यह न्यायसंगत नहीं है।"
कुमार ने यह भी कहा कि अगर बिहार में डोमिसाइल नीति लागू नहीं होती, तो बाकी राज्यों की भी डोमिसाइल नीति खत्म होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द सभी भर्तियों में डोमिसाइल नीति लागू करे। बीपीएससी टीआरई-4 (शिक्षक भर्ती परीक्षा) के लिए भी डोमिसाइल लागू की जाए।
छात्र नेता ने यह भी कहा कि चुनाव से पहले टीआरई-4 की वैकेंसी निकाली जाए और उसे जल्द से जल्द चुनाव से पहले पूर्ण किया जाए। इसके साथ ही बिहार में जितने भी सरकारी पद खाली हैं, उन पर डोमिसाइल नीति के तहत विज्ञापन जारी किया जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समय रहते उनकी मांग नहीं मानी तो छात्र मजबूर होकर वोट का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने दोहराया, "जब तक सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करती, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम 'डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ अपने हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे।"