क्या पीएम मोदी 17 सितंबर को 'स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान' और 8वें पोषण माह का शुभारंभ करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता।
- एक लाख से अधिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित होंगे।
- स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को बेहतर बनाना।
- सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना।
- सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम चलाना।
नई दिल्ली, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 8वें पोषण माह के साथ-साथ ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान’ का शुभारंभ करेंगे। यह पूरे देश में महिलाओं, किशोरियों और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवा और पोषण सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।
इस पहल का नेतृत्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय संयुक्त रूप से कर रहे हैं, जो महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय देश भर में स्वास्थ्य शिविरों और सुविधाओं के माध्यम से निवारक, प्रोत्साहनात्मक और उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण को बढ़ावा देगा, जबकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पोषण माह की गतिविधियों को अभियान के साथ एकीकृत करेगा, आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और किशोरियों को संगठित करेगा, और बड़े पैमाने पर पोषण परामर्श और नुस्खा प्रदर्शनों का नेतृत्व करेगा।
दोनों मंत्रालय मिलकर एनीमिया की रोकथाम, संतुलित आहार और मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता अभियान भी चलाएंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि महिलाओं और किशोरियों की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जरूरतों को समग्र और एकीकृत तरीके से पूरा किया जाए।
स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान का उद्देश्य प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य, पोषण, तंदुरुस्ती और 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है। इस राष्ट्रव्यापी सघन अभियान का उद्देश्य सामुदायिक स्तर पर महिला-केंद्रित निवारक, प्रोत्साहनात्मक और उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। यह गैर-संचारी रोगों, एनीमिया, तपेदिक और सिकल सेल रोग की जांच, शीघ्र पहचान और उपचार संबंधों को मजबूत करेगा, साथ ही प्रसवपूर्व देखभाल, टीकाकरण, पोषण, मासिक धर्म स्वच्छता, जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से मातृ, शिशु और किशोर स्वास्थ्य को बढ़ावा देगा। साथ ही, यह अभियान मोटापे की रोकथाम, बेहतर पोषण और स्वैच्छिक रक्तदान पर विशेष जोर देते हुए समुदायों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर इस बात पर जोर दिया कि इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में महिलाओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाना, बेहतर पहुंच, गुणवत्तापूर्ण देखभाल और जागरूकता सुनिश्चित करना है। उन्होंने सभी निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा हितधारकों से आगे आकर इस जनभागीदारी अभियान का अभिन्न अंग बनने की अपील की।
यह अभियान 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक देशभर के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी), जिला अस्पतालों और अन्य सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर आयोजित किया जाएगा। एक लाख से अधिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिससे यह देश में महिलाओं और बच्चों के लिए अब तक का सबसे बड़ा स्वास्थ्य अभियान बन जाएगा।
देश भर में सभी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रतिदिन स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएंगे। केंद्रीय और राज्य के मंत्री, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि इस अभियान में शामिल होंगे। आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह, पंचायती राज संस्थाएं, शहरी स्थानीय निकाय, माई भारत के स्वयंसेवक और युवा समूह जमीनी स्तर पर सामुदायिक लामबंदी का नेतृत्व करेंगे।
गैर-संचारी रोग और स्वास्थ्य: शिविरों में रक्तचाप, रक्त शर्करा और बीएमआई जांच के माध्यम से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे की जांच की जाएगी। जोखिम प्रोफाइलिंग, रेफरल और जीवनशैली में बदलाव, पोषण, शारीरिक गतिविधि और तंबाकू सेवन बंद करने पर परामर्श से दीर्घकालिक रोगों का शीघ्र पता लगाने और उनके प्रबंधन में मदद मिलेगी।
कैंसर स्क्रीनिंग: महिलाओं को मुख गुहा जांच, स्तन परीक्षण, स्तन स्व-परीक्षण के प्रदर्शन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग से लाभ होगा। मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर पर जागरूकता सत्रों के साथ-साथ मैमोग्राफी और ऑन्कोलॉजी देखभाल के लिए रेफरल सेवाएं भी उपलब्ध होंगी।
एनीमिया और पोषण: किशोरियों और महिलाओं के लिए बड़े पैमाने पर एचबी परीक्षण और एनीमिया स्क्रीनिंग की जाएगी, साथ ही आईएफए सप्लीमेंट्स और कृमिनाशक गोलियों का प्रावधान भी किया जाएगा। पोषण परामर्श, संतुलित आहार प्रदर्शन, अन्नप्राशन समारोह और स्वस्थ व्यंजनों का प्रदर्शन पोषण जागरूकता को बढ़ावा देगा, जबकि मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने से किशोरियों को सशक्त बनाया जाएगा। इन प्रयासों को एफएसएसएआई की ईट राइट पहल द्वारा और भी बढ़ावा दिया जाएगा, जो समुदायों में सुरक्षित, स्वस्थ और स्थायी आहार प्रथाओं को बढ़ावा देती है।
क्षय रोग (टीबी): संवेदनशील महिलाओं की टीबी जांच, थूक संग्रहण और मोबाइल एक्स-रे इकाइयों से शीघ्र निदान में मदद मिलेगी। मरीजों को इलाज के लिए डॉट्स केंद्रों से जोड़ा जाएगा, जबकि पोषण और मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए स्वयंसेवकों को निक्षय मित्र के रूप में तैनात किया जाएगा।
सिकल सेल रोग: लक्षित सिकल सेल जांच, सिकल सेल कार्ड वितरण और परामर्श सेवाओं के माध्यम से जनजातीय आबादी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। आनुवंशिक परामर्श और रेफरल दीर्घकालिक देखभाल और रोग प्रबंधन सुनिश्चित करेंगे।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: हीमोग्लोबिन परीक्षण, रक्तचाप की निगरानी, वजन की जाँच और भ्रूण के विकास पर नज़र रखने सहित व्यापक प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान की जाएगी। मातृ एवं शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड वितरण, सुरक्षित गर्भावस्था और संस्थागत प्रसव पर परामर्श, बच्चों के विकास की निगरानी, शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार संबंधी परामर्श और टीकाकरण सेवाएं मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य परिणामों को और बेहतर बनाएंगी।
टीकाकरण: बच्चों और किशोरों के लिए कैच-अप टीकाकरण के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं के लिए टीडी टीकाकरण को प्राथमिकता दी जाएगी।
जागरूकता और परामर्श: शिविरों में मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा दिया जाएगा, सैनिटरी पैड वितरित किए जाएंगे और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सत्र आयोजित किए जाएंगे। स्वयं सहायता समूहों, पंचायती राज संस्थाओं आदि के नेतृत्व में चलाए जाने वाले अभियानों में तेल और चीनी की खपत कम करने और स्वास्थ्यवर्धक आहार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
रक्तदान: आघात देखभाल, शल्य चिकित्सा और रक्त विकारों के उपचार को सुदृढ़ बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी रक्तदान अभियान चलाए जाएंगे।
डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं: लाभार्थियों को पीएम-जेएवाई, आयुष्मान वय वंदना और आभा योजना के अंतर्गत नामांकित किया जाएगा। कार्ड सत्यापन और शिकायत निवारण के लिए स्वास्थ्य शिविरों में हेल्पडेस्क स्थापित किए जाएंगे।
आयुष सेवाएं: महिलाओं और परिवारों के लिए समग्र स्वास्थ्य और कल्याण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए योग सत्र, आयुर्वेद परामर्श और अन्य आयुष सेवाएं आयोजित की जाएंगी।
युवाओं और नागरिकों का एकीकरण: इस अभियान में भारत के युवाओं और समुदायों को इस जनभागीदारी प्रयास में शामिल करने पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा। माय भारत के स्वयंसेवक जागरूकता अभियानों, स्वास्थ्य प्रतिज्ञाओं, सांस्कृतिक गतिविधियों और सामुदायिक लामबंदी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल होंगे। नागरिकों को मायगॉव पोर्टल के माध्यम से स्वैच्छिक रक्तदान और अंगदान के संकल्पों में भाग लेने और टीबी रोगियों को पोषण, परामर्श और देखभाल प्रदान करने के लिए समर्पित प्लेटफॉर्म पर निक्षय मित्र के रूप में पंजीकरण कराने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। यह समग्र समाज-केंद्रित दृष्टिकोण अभियान की व्यापक पहुंच और प्रभाव सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ-साथ, कई अन्य मंत्रालय भी इस अभियान को मजबूत समर्थन देंगे। ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय स्वयं सहायता समूहों और पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिलाओं को संगठित करेंगे। शिक्षा मंत्रालय स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ समन्वय करेगा, जबकि युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय स्वास्थ्य जागरूकता और पहुंच को मजबूत करने के लिए माय भारत के स्वयंसेवकों के साथ समन्वय करेगा। जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय समुदायों तक पहुंच बनाने में मदद करेगा। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भी दिव्यांगजनों के संबंध में सहायता प्रदान करेगा। इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, गृह मंत्रालय आदि अपने-अपने चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करेंगे।