क्या इथियोपिया में पीएम मोदी को सम्मान मिलना खुशी की बात है?
सारांश
Key Takeaways
- इथियोपिया ने पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।
- राशिद अल्वी ने इसे देश के लिए गर्व का विषय बताया।
- यह सम्मान राजनीतिक मतभेदों से परे है।
- गवर्नर के बयान पर अल्वी का तीखा जवाब।
- नक्सलियों के सरेंडर को लेकर भी अल्वी ने विचार व्यक्त किए।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने इथियोपिया द्वारा पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे जाने पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का यह सम्मान देश के प्रधानमंत्री के लिए गर्व की बात है, जो भारत के प्रधानमंत्री को मिला है, न कि किसी भाजपा नेता को। उन्होंने बताया कि जब देश के प्रधानमंत्री को विश्व स्तर पर सम्मान मिलता है, तो यह निश्चित रूप से खुशी की बात है।
राशिद अल्वी ने पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस के एसआईआर पर दिए बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या अभी भी कोई बांग्लादेशी अप्रवासी बचे हैं। यह नहीं होना चाहिए कि अगले चुनावों में भी यही नारा इस्तेमाल किया जाए कि अवैध प्रवासियों को हटाया जा रहा है।
उन्होंने तंज करते हुए सवाल किया कि गवर्नर को एसआईआर की वकालत करने की ज़रूरत क्यों महसूस हो रही है? क्या वह चुनाव लड़ रहे हैं या भाजपा की मदद कर रहे हैं?
उन्होंने सीएम योगी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि एसआईआर के कारण चार करोड़ वोट हटा दिए गए थे? उन्होंने एसआईआर को गलत बताया। अभी कांग्रेस और विपक्ष गलत कह रहे हैं, और राज्यपाल को इनके बयानों पर भी कुछ कहना चाहिए।
राशिद अल्वी ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सरेंडर पर कहा कि अगर 34 नक्सलियों ने सरेंडर किया है तो यह एक अच्छा कदम है। हालांकि, यह सत्यापित करना होगा कि क्या वे सच में नक्सली थे या नहीं। भविष्य में कोई नक्सली हमला होगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा। कुछ लोगों के सरेंडर करने से यह साबित नहीं होता कि उस क्षेत्र में नक्सलवाद समाप्त हो गया है।
उन्होंने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि संसद में उनके पास बहुमत है। यदि सभी कांग्रेस के सांसद और राहुल गांधी उपस्थित होते, तो भी वे अपने नंबरों के बल पर कानून पास कर देते। राहुल गांधी की उपस्थिति या अनुपस्थिति से कोई फर्क नहीं पड़ता।
राशिद अल्वी ने एसआईआर को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान पर कहा कि हमने हमेशा देखा है कि सरकारी अधिकारी वोटर लिस्ट बनाने के लिए घर-घर जाते थे, पूछते थे कि घर में कौन रहता है, किसकी मौत हो गई है, और कोई कहीं और चला गया है। इसी आधार पर वोटर लिस्ट तैयार की जाती थी। मैं चाहता हूं कि हमें जेपी नड्डा बताएं कि क्या इस देश में कभी ऐसा हुआ है जब लोगों से 11 दस्तावेज़ या जन्म का प्रमाण मांगा गया हो। यदि ऐसा कभी हुआ है, तो बताना चाहिए। आप देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। बाकी सब छोड़िए। यह मैं नहीं कह रहा हूं, बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कहा कि चार करोड़ वोटर हटा दिए गए हैं। 2025 के लिए उत्तर प्रदेश की लेटेस्ट वोटर लिस्ट में 15 करोड़ वोटर थे। अब, हटाने के बाद नई लिस्ट में केवल 12 करोड़ वोटर हैं।
उन्होंने कहा कि यह मेरा दावा नहीं है। यह बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं। जेपी नड्डा को उनसे बात करनी चाहिए।