क्या पीएम मोदी ने राजेंद्र चोल के नेक कामों का वर्णन किया, उनका संबोधन प्रेरणादायक था?

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क्या पीएम मोदी ने राजेंद्र चोल के नेक कामों का वर्णन किया, उनका संबोधन प्रेरणादायक था?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगईकोंडा चोलपुरम में आयोजित आदि तिरुवथिरई महोत्सव में राजेंद्र चोल की 1000वीं जयंती पर संबोधित किया, जो प्रेरणादायक और गर्व का स्रोत रहा। जानिए इस ऐतिहासिक दिन का महत्व।

Key Takeaways

  • गंगईकोंडा चोलपुरम में पीएम मोदी की उपस्थिति ने समारोह को ऐतिहासिक बना दिया।
  • राजेंद्र चोल की 1000वीं जयंती पर उनके कार्यों का उल्लेख किया गया।
  • प्रधानमंत्री ने एक स्मारक सिक्का और पवित्र ग्रंथों का अनावरण किया।
  • भाषण ने उपस्थित लोगों में गर्व और प्रेरणा का संचार किया।
  • तमिल गौरव और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित किया गया।

चेन्नई, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गंगईकोंडा चोलपुरम में आयोजित आदि तिरुवथिरई महोत्सव में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति पर चिन्मय मिशन के स्वामी सुरेशानंद ने कहा कि यह दिन ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज न केवल राजेंद्र चोल की 1000वीं जयंती मनाई, बल्कि चोल सम्राट के महान कार्यों का भी उल्लेख किया, जिनसे हम तमिलनाडु के लोग भी अनभिज्ञ थे। यह वाकई में अद्भुत है कि भारत के एक दूरस्थ क्षेत्र से आए व्यक्ति ने राजेंद्र चोल के बारे में इतनी जानकारी साझा की।

स्वामी सुरेशानंद ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री ने एक स्मारक सिक्का जारी किया, पवित्र 'तिरुवासगम' का अनावरण किया और 'भगवद् गीता' के तमिल अनुवाद का लोकार्पण किया, जिसे चिन्मय मिशन द्वारा एक महत्वपूर्ण ग्रंथ मानते हैं। इसके माध्यम से उन्होंने तमिलनाडु को अपार सम्मान दिलाया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोग अत्यंत खुश थे। वास्तव में, उनका भाषण बेहद प्रेरणादायक था और इसने सभी में गर्व और उत्साह की भावना जगाई। लंबे इंतजार के बावजूद लोग संतुष्ट होकर लौटे।

स्वामी सुरेशानंद ने कहा कि आदि तिरुवथिरई महोत्सव के लिए प्रधानमंत्री की गंगईकोंडा चोलपुरम यात्रा ने स्थानीय लोगों पर गहरा प्रभाव डाला है। प्रधानमंत्री ने राजेंद्र चोल की 1000 साल पुरानी विरासत और दक्षिण-पूर्व एशिया एवं अंडमान द्वीप समूह में उनकी नौसैनिक विजयों की चर्चा की। उन्होंने 'चोल गंगम' झील जैसी जल संरचना का उल्लेख कर तमिल गौरव और भारत की प्राचीन समुद्री शक्ति को सम्मानित किया। उनके विस्तृत भाषण और स्मारक सिक्का जारी करने जैसे प्रतीकात्मक कार्यों ने श्रोताओं को भावुक कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के अरियालुर जिले में स्थित गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में दर्शन कर राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती पर पूजा-अर्चना की। राजेंद्र चोल प्रथम चोल साम्राज्य के महानतम शासकों में से एक थे, जिनके शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार दक्षिण-पूर्व एशिया तक हुआ।

Point of View

बल्कि यह हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों की याद दिलाने का एक प्रयास था। यह स्पष्ट है कि भारत की विविधता में एकता ही हमारी ताकत है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री मोदी ने क्या खास बातें कहीं?
प्रधानमंत्री मोदी ने राजेंद्र चोल की विरासत और उनके कामों का वर्णन किया, साथ ही कई महत्वपूर्ण ग्रंथों और स्मारक सिक्के का अनावरण किया।
आदि तिरुवथिरई महोत्सव का महत्व क्या है?
यह महोत्सव तमिल संस्कृति और विरासत का प्रतीक है, जो राजेंद्र चोल की महानता का जश्न मनाता है।