क्या पीएम मोदी की पहल ने आदिवासी पारंपरिक पहनावे और हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के मेरे जुनून को मजबूत किया?
सारांश
Key Takeaways
- पीएम मोदी की पहलों ने पारंपरिक हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान दी है।
- मार्गरेट रामथार्सिएम ने स्थानीय कारीगरों को रोजगार दिया है।
- सरकारी नीतियाँ कारीगरों की मदद कर रही हैं।
इंफाल, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मणिपुर के चुराचांदपुर जिले की मार्गरेट रामथार्सिएम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “मणिपुर की मार्गरेट रामथार्सिएम की कोशिशें अद्वितीय हैं। उन्होंने मणिपुर के पारंपरिक उत्पादों, हैंडीक्राफ्ट और बांस व लकड़ी से बनी वस्तुओं को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।”
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि इसी दृष्टिकोण की वजह से, वह एक हैंडीक्राफ्ट आर्टिस्ट से लोगों की जिंदगी में परिवर्तन लाने का माध्यम बन गईं। आज, मार्गरेट की यूनिट में 50 से अधिक आर्टिस्ट कार्यरत हैं, और अपनी मेहनत से उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों, जिनमें दिल्ली भी शामिल है, में अपने उत्पादों के लिए एक बाज़ार स्थापित किया है।
मार्गरेट रामथार्सिएम ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जूम के माध्यम से साक्षात्कार में अपने अनुभव साझा किए और बेबाकी से सवालों के उत्तर दिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की पहल ने आदिवासी पारंपरिक पहनावे और हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के उनके जुनून को और भी सशक्त किया है। रामथार्सिएम के साक्षात्कार के महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार हैं...।
सवाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में आपके काम को उजागर किया। क्या यह पारंपरिक हस्तशिल्प को टिकाऊ रोजगार में बदलने के उनके लोकल-टू-ग्लोबल दृष्टिकोण को दर्शाता है?
जवाब: हां, बिल्कुल। हम इसे अपने ग्राहकों में देख सकते हैं, जो भारत और विदेश दोनों जगह के हैं। अपने उत्पादों का निर्यात करने के बाद, हमें यह महसूस हुआ कि ये पारंपरिक हस्तशिल्प वैश्विक बाजार तक कैसे पहुँच सकते हैं, जिससे वास्तविक आर्थिक अवसर उत्पन्न होते हैं।
सवाल: आपने मणिपुर के पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट को रोजगार में परिवर्तित किया है, जिससे 50 से अधिक कारीगरों को रोजगार मिला है। क्या प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण ने आपको इस काम को बड़े पैमाने पर करने और इसे औपचारिक रूप देने के लिए प्रेरित किया है?
जवाब: हां। मैं हमेशा आत्मनिर्भर बनना चाहती थी, और आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण ने मुझे और अधिक काम करने, अधिक स्थानीय कारीगरों को शामिल करने और हमारे समुदायों में आत्मनिर्भरता को सशक्त करने का उत्साह और प्रेरणा दी है।
सवाल: आपके उत्पाद अब पूरे भारत के बाजारों में पहुँचते हैं। क्या यह दर्शाता है कि सरकारी नीतियाँ कारीगरों को राष्ट्रीय बाजारों से जुड़ने में प्रभावी रूप से मदद कर रही हैं?
जवाब: बिल्कुल। पहले कई स्थानीय कारीगरों को कोई नहीं जानता था। आज, सरकारी प्लेटफॉर्म के माध्यम से, उन्हें जिला, राज्य, राष्ट्रीय और यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल रही है।
सवाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'मन की बात' में आपके काम का उल्लेख होने से, क्या इससे जमीनी स्तर के उद्यमियों और कारीगरों का आत्मविश्वास बढ़ता है?
जवाब: हां, निश्चित रूप से। मेरे लिए भी, इसने मेरे आत्मविश्वास और ऊर्जा को बढ़ाया है ताकि मैं अपने काम को बड़े पैमाने पर कर सकूं और भविष्य में और अधिक हासिल कर सकूं।
सवाल: प्रधानमंत्री मोदी अक्सर आर्थिक अवसरों के निर्माण के साथ संस्कृति के संरक्षण के बारे में बात करते हैं। क्या आपको लगता है कि उनका नेतृत्व भारत के हैंडीक्राफ्ट क्षेत्र को एक नई पहचान और दिशा दे रहा है?
जवाब: हां। मैं अपने आदिवासी पूर्वजों के पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट को उन्नत और आधुनिक बना रही हूं, जिनका अभ्यास सैकड़ों वर्षों पहले किया जाता था। मैं अपनी संस्कृति को संरक्षित कर रही हूँ और इसे एक स्थायी रोजगार व्यवसाय में परिवर्तित कर रही हूँ।
सवाल: अपने अनुभव के आधार पर, पारंपरिक कलाओं को सशक्त करने और कारीगरों के लिए स्थायी आय सुनिश्चित करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल कितनी प्रभावी हैं?
जवाब: उनकी पहलों ने आदिवासी पारंपरिक पहनावे और हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के मेरे जुनून को सशक्त किया है। यह हमें अपनी परंपराओं को संरक्षित करने के साथ-साथ आय उत्पन्न करने का अवसर देता है, जिसे मैं स्थायी रोजगार कहूंगी। केवल मैं ही नहीं, बल्कि कई स्थानीय कारीगर भी हमारे आदिवासी शिल्प और विरासत को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित हैं।