क्या पीएमओ परिसर का नाम 'सेवा तीर्थ' रखने को भाजपा नेताओं ने सराहनीय पहल बताया?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम 'सेवा तीर्थ' रखा गया है।
- भाजपा ने इस पहल की सराहना की है।
- समाजवादी पार्टी ने सवाल उठाए हैं कि नाम बदलने से क्या बदलाव आता है।
- यह नाम नागरिक-प्रथम नीति को दर्शाता है।
नई दिल्ली, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के प्रशासनिक ढांचे में जन-सेवा के सिद्धांत को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) परिसर का नाम अब ‘सेवा तीर्थ’ रखा जाएगा। इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने 'सेवा तीर्थ' नाम की प्रशंसा की है। हालांकि, समाजवादी पार्टी ने इसे नई पहल नहीं मानते हुए सवाल उठाया है कि नाम बदलने से क्या बदलाव आता है?
भाजपा सांसद धर्मशीला गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हम सभी नागरिकों को यह संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिल से धन्यवाद करना चाहते हैं। उन्होंने सेवा तीर्थ नाम की जगह बनाकर बहुत ही सकारात्मक कदम उठाया है, जो यह दर्शाता है कि हमारे देश की धरोहर सनातन संस्कृति और सभ्यता के नाम से झलकती है। उनका सेवाभाव लोगों के दिलों को छूता है।
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को प्रधान सेवक के रूप में प्रस्तुत किया है। पुराना राजशाही का कल्चर समाप्त हो चुका है और अब लोगों पर केंद्रित सिस्टम बन गया है। पीएमओ देश की जनता की सेवा के लिए है, इसलिए इस परिसर का नाम सेवा तीर्थ दिया गया है, जो वास्तव में सराहनीय है।
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है कि इसमें कोई नई बात नहीं है, नाम बदलने से कुछ नहीं बदलता। सवाल यह है कि इस स्थान का नाम बदलकर सेवा तीर्थ कर दिया गया, लेकिन वास्तव में कौन सी सेवा में सुधार हुआ है? दूसरा सवाल यह है कि २०१४ में जब प्रधानमंत्री ने कार्यभार संभाला था, तब डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू क्या थी, और आज क्या है? २०१४ में, डीजल, पेट्रोल, गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं के मूल्य क्या थे, और अब वे कहां हैं?
जानकारी के अनुसार, पीएमओ परिसर यह नाम उस नागरिक-प्रथम नीति को दर्शाता है, जिसके मार्गदर्शक सिद्धांत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा कार्य किया है।