क्या प्रदूषण से हर तीसरे व्यक्ति का दम फूल रहा है?

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क्या प्रदूषण से हर तीसरे व्यक्ति का दम फूल रहा है?

सारांश

वायु प्रदूषण ने लोगों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हर तीसरे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, और सरकारी अस्पतालों में लगभग 50% मरीज सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है।

Key Takeaways

  • वायु प्रदूषण से लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
  • हर तीसरे व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी हो रही है।
  • सरकारी अस्पतालों में सांस संबंधी रोगियों की संख्या बढ़ी है।
  • प्रदूषण के कारण लोग खांसी, जुकाम और अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
  • लोगों को मास्क पहनने और घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

नोएडा, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वायु प्रदूषण ने लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। वर्तमान स्थिति यह है कि हर तीसरा व्यक्ति सांस लेने में कठिनाई का सामना कर रहा है। सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों में लगभग 50 प्रतिशत लोग सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं। चिकित्सकों के अनुसार, वर्तमान में हवा में मौजूद जहरीली गैसों और रासायनिक कणों के कारण लोगों को खांसी, जुकाम, सिरदर्द, चक्कर, थकावट, अनिद्रा और आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

जर्नल फिजिशियन डॉ. अमित कुमार के अनुसार, इस समय प्रदूषण के कारण हर चेस्ट फिजिशियन की ओपीडी में मरीजों की संख्या लगभग 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है। वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया और बेंजीन जैसी जहरीली गैसों की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुँच चुकी है। इन गैसों से केवल सांस लेने में समस्या नहीं बढ़ रही है, बल्कि यह आंख, नाक, गले और फेफड़ों पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है।

डॉ. अमित ने बताया कि पांच साल पहले सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का मुख्य कारण धूम्रपान था, लेकिन अब प्रदूषण इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण बन गया है। उन्होंने कहा कि भले ही कोई व्यक्ति सिगरेट न पीता हो, लेकिन वर्तमान प्रदूषण स्तर के चलते वह रोजाना लगभग छह सिगरेट के बराबर जहरीला धुआं अपने फेफड़ों में भर रहा है।

उनके अनुसार, एक सिगरेट से लगभग 64.8 एक्यूआई के बराबर प्रदूषण उत्पन्न होता है, जबकि वर्तमान स्थिति में एक व्यक्ति लगभग 5.83 सिगरेट के बराबर धुआं निगल रहा है। जिले के सरकारी अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

चिकित्सकों के अनुसार, रोजाना 300 से 350 मरीज सांस की तकलीफ, खांसी या छाती में जकड़न की शिकायत लेकर ओपीडी पहुंच रहे हैं। नमी बढ़ने के कारण धूल और धुएं के कण वातावरण में ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं, जिससे धुंध और स्मॉग का निर्माण हो रहा है।

डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि सुबह और देर शाम के समय घर से बाहर निकलने से बचें, मास्क का उपयोग करें और घर में एयर प्यूरीफायर या पौधों का इस्तेमाल करें। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रदूषण से इनकी सेहत पर अधिक असर पड़ता है। चिकित्सकों का कहना है कि यदि प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि प्रदूषण का प्रभाव केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि हमारे समाज पर भी गहरा असर डाल रहा है। यदि हम इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो भविष्य में इसकी गंभीरता और भी बढ़ सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता और कार्यवाही की आवश्यकता है।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या प्रदूषण से सांस लेने में परेशानी होती है?
हाँ, प्रदूषण से हवा में मौजूद जहरीली गैसें और कण सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकते हैं।
सरकारी अस्पतालों में सांस की समस्याओं के कितने मरीज आते हैं?
लगभग 50% मरीज सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं।