क्या प्रियंक कानूनगो का अबू आजमी पर तंज सही है?
सारांश
Key Takeaways
- अबू आजमी का बयान राजनीतिक चर्चाओं का कारण बना।
- प्रियंक कानूनगो ने शिक्षा पर जोर दिया।
- खिलाफत आंदोलन का ऐतिहासिक महत्व।
- मदरसों का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान।
- राजनीतिक नेताओं के बयानों का प्रभाव।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी के द्वारा दिए गए बयान ने सियासी हलचलों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा था कि मदरसों के लोगों ने सबसे पहले महात्मा गांधी को 'गांधीजी' की उपाधि दी थी। इस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'यह तो सबको पता है कि महात्मा गांधी को उनका 'गांधी' सरनेम अपने पिता से मिला था।'
प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। पिता से पुत्र को 'गांधी' सरनेम मिला। यह तो बच्चों को भी स्कूल में पढ़ाया जाता है। हमें बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए, ताकि बड़े होकर अबू आजमी जैसी बातें न करें।' इसके अलावा, उन्होंने खिलाफत आंदोलन का असली मकसद भी बताया, जो तुर्की के इस्लामिक खलीफे के साम्राज्य को बचाना था।
अबू आजमी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मदरसों के लोगों ने महात्मा गांधी का स्वागत किया और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। उन्होंने कहा, 'मदरसा समुदाय ने हमेशा इस देश से प्रेम किया है और स्वतंत्रता संग्राम में हजारों विद्वानों ने शहादत दी।'
इसके अलावा, उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भी निशाना साधा, जो नफरत की राजनीति करते हैं। मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि बिहार और पूरे देश में मदरसे बंद होने चाहिए, क्योंकि हमें आर्मी और वैज्ञानिक चाहिए, न कि ऐसे लोग जो देश को नुकसान पहुंचाते हैं।