क्या साइबर सुरक्षा आवश्यक है, लेकिन नागरिकों के फोन की निगरानी गलत है?: प्रियंका गांधी

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क्या साइबर सुरक्षा आवश्यक है, लेकिन नागरिकों के फोन की निगरानी गलत है?: प्रियंका गांधी

सारांश

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने 'संचार साथी' ऐप को जासूसी ऐप करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह नागरिकों की प्राइवेसी का हनन है। क्या यह सच में ज़रूरी है या यह तानाशाही की ओर बढ़ते कदम हैं?

Key Takeaways

  • ‘संचार साथी’ ऐप को जासूसी ऐप कहा गया।
  • नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है।
  • साइबर सुरक्षा की आवश्यकता है लेकिन इसे निगरानी का बहाना नहीं बनाना चाहिए।
  • सरकार पर तानाशाही के आरोप।
  • संसद में चर्चा का अभाव।

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन है। इस बीच दूरसंचार विभाग द्वारा सभी नए मोबाइल फोन में ‘संचार साथी’ ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने को लेकर विवाद जारी है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इसे एक ‘जासूसी ऐप’ करार दिया।

संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए प्रियंका गांधी ने ‘संचार साथी’ ऐप पर सरकार पर नागरिकों की निजता का हनन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यह एक जासूसी ऐप है। मैं यही कहना चाहती हूं कि अब वे और क्या जानना चाहते हैं? नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। सभी को प्राइवेसी का अधिकार है कि हम बिना सरकार की निगरानी के अपने मैसेज को परिवार और दोस्तों को भेजें। यह सामान्य बात है। सरकार हर तरह से देश को तानाशाही में बदलने की कोशिश कर रही है।"

उन्होंने आगे कहा, "भारत का हर नागरिक अपने फोन पर क्या कर रहा है? इस तरह से काम नहीं करना चाहिए। फ्रॉड की रिपोर्ट करने के लिए एक असरदार सिस्टम होना चाहिए। हमने साइबर सिक्योरिटी पर इस पर बहुत लंबी चर्चा की है। साइबर सिक्योरिटी की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपको हर नागरिक के टेलीफोन में जाने का बहाना दे। मुझे नहीं लगता कि कोई भी नागरिक खुश होगा।"

संसद सत्र नहीं चलने पर उन्होंने कहा, "संसद इसलिए काम नहीं कर रही है क्योंकि सरकार किसी भी चीज पर बात करने से मना कर रही है। विपक्ष पर इल्जाम लगाना बहुत आसान है। सरकार किसी भी चीज पर चर्चा नहीं होने दे रही है। एक स्वस्थ लोकतंत्र चर्चा की मांग करता है।"

बता दें कि भारत सरकार द्वारा 29 नवंबर को एक महत्वपूर्ण नियम लागू किया गया है। इसके अनुसार व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि जैसे सभी मैसेजिंग ऐप्स अब हमेशा यूजर के डिवाइस में सक्रिय सिम कार्ड से लगातार लिंक रहेंगे। निर्देश के मुताबिक, सभी प्लेटफॉर्म्स को 90 दिनों में इन नियमों का अनुपालन करना होगा और 120 दिनों में विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी।

—राष्ट्र प्रेस

एससीएच/एएस

Point of View

NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

संचार साथी ऐप क्या है?
यह एक ऐप है जिसे सभी नए मोबाइल फोन में प्री-इंस्टॉल किया जाना अनिवार्य है।
प्रियंका गांधी ने इस ऐप के बारे में क्या कहा?
उन्होंने इसे एक जासूसी ऐप करार दिया और नागरिकों की निजता का हनन बताया।
क्या यह ऐप हमारी प्राइवेसी को प्रभावित करता है?
हाँ, प्रियंका गांधी के अनुसार, यह ऐप नागरिकों की प्राइवेसी का उल्लंघन करता है।
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