क्या मदुरै में पूर्वोत्तर मानसून से निपटने के लिए मॉक ड्रिल की गई?

सारांश
Key Takeaways
- आपदा प्रबंधन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना।
- बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए तकनीकों का अभ्यास।
- अग्निशामक और एनडीआरएफ के जवानों की भूमिका।
- जल निकासी तंत्र में सुधार के उपाय।
- सांपों से बचाव की तकनीकें।
मदुरै, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मदुरै में आपदा न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर पूर्वोत्तर मानसून से निपटने की तैयारियों के संबंध में एक आपदा बचाव मॉडल ड्रिल और प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग और अग्निशमन एवं बचाव सेवा विभाग द्वारा तेप्पाकुलम (मंदिर तालाब) में आयोजित किया गया।
बरसात के मौसम में बाढ़ के दौरान डूबे या फंसे व्यक्तियों को बचाने की क्षमता विकसित करने के लिए आयोजित इस मॉक ड्रिल में अग्निशमन एवं आपदा बचाव सेवा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया।
इस अभ्यास में मदुरै के तल्लाकुलम, पेरियार निलयम और अनुप्पनदी अग्निशमन केंद्रों के 50 से अधिक अग्निशामक अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के जवानों ने भाग लिया।
ड्रिल के दौरान टीमों ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों और पशुओं को बचाने का प्रदर्शन किया। उन्होंने ‘विधवा नाव’ (स्थानीय बेड़ा) की सहायता से डूबते व्यक्ति को बचाने और नारियल के सहारे तैर रहे व्यक्ति की मदद का प्रदर्शन किया। इसके अतिरिक्त, बेसुध पड़े व्यक्तियों को सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) तकनीक का अभ्यास भी कराया गया।
इस अभ्यास में सामान्य वस्तुओं जैसे पानी के डिब्बे, टायर ट्यूब, प्लास्टिक टैंक और सूखे नारियल का उपयोग कर आपात स्थितियों में बचाव और प्राथमिक उपचार प्रदान करने की विधियां सिखाई गईं।
कार्यक्रम में सांपों से बचाव और सुरक्षित तरीके से उन्हें पकड़ने के तरीकों का भी प्रदर्शन किया गया। एक विशेष प्रस्तुति में अग्निशामक दल ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर सांप को सुरक्षित रूप से पकड़ने का प्रदर्शन किया। इसके बाद जिला कलेक्टर प्रवीण कुमार ने नाव से जाकर तेप्पाकुलम में आपातकालीन बचाव अभ्यास का निरीक्षण किया।
जिला कलेक्टर प्रवीण कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हम मदुरै जिले में पूर्वोत्तर मानसून का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। 125 राहत शिविर स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से 78 शहर में और 47 उपनगरों में होंगे। 300 अग्निशमन कर्मियों और 150 से अधिक स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है।”
उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों की भारी वर्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार जल निकासी तंत्र को बेहतर किया गया है और सभी वर्षा जल नालों से गाद हटाई जा रही है। जिले के वर्षा और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों की पहचान कर ली गई है, साथ ही बादल फटने जैसी चरम स्थितियों से निपटने के उपाय भी तैयार किए गए हैं।
पुरानी और जर्जर इमारतों के संदर्भ में कलेक्टर ने कहा कि उनके मालिकों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं और निगम अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।