क्या पुष्कर में आत्मा की मुक्ति का द्वार छिपा है? श्रीराम ने यहीं किया था अपने पिता का श्राद्ध

सारांश
Key Takeaways
- पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर विश्व में एकमात्र है।
- यहाँ पितरों के श्राद्ध कर्म विशेष महत्व रखते हैं।
- पुष्कर सरोवर में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
- भगवान श्रीराम ने यहाँ अपने पिता का श्राद्ध किया था।
- पुष्कर का धार्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
पुष्कर, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान का पुष्कर एक प्राचीन और अत्यधिक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जो पूरे भारत में अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यह सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत विशेष स्थान रखता है।
पुष्कर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ भगवान ब्रह्मा
पुष्कर की धार्मिक महत्ता केवल ब्रह्मा मंदिर तक सीमित नहीं है। यहाँ पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ पर व्यक्ति अपने सात कुलों और पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष हेतु श्राद्ध कर्म कर सकता है।
यह माना जाता है कि पुष्कर में श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसलिए हर वर्ष पितृ पक्ष के दौरान हजारों श्रद्धालु यहाँ एकत्र होते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ और तर्पण करते हैं।
कहा जाता है कि भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्कर आए थे और अपने पिता महाराज दशरथ का श्राद्ध किया था। इसके बाद राजा दशरथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया। यही कारण है कि यह स्थान श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
पुष्कर सरोवर, जो कि 52 घाटों से घिरा हुआ है, श्रद्धालुओं के स्नान और पूजा का मुख्य स्थल है। मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त होती है।
पुष्कर का धार्मिक वातावरण, यहाँ की शांत वायु, मंत्रोच्चार की गूंज और पुरोहितों द्वारा करवाए जाने वाले वैदिक कर्मकांड इसे एक अद्भुत तीर्थ स्थल बनाते हैं।