क्या पुतिन के भारत दौरे का असर अगले साल ब्रिक्स की अध्यक्षता पर पड़ेगा?: विशेषज्ञ
सारांश
Key Takeaways
- पुतिन का दौरा भारत-रूस संबंधों को मजबूत करेगा।
- यह दौरा ब्रिक्स की अध्यक्षता पर असर डाल सकता है।
- रूस-चीन-पश्चिम रिश्तों पर प्रभावी होगा।
- डिफेंस इंपोर्ट में भारत की विविधता की नीति जारी रहेगी।
- तेल व्यापार में नई चुनौतियाँ सामने आएँगी।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भूराजनीतिक विशेषज्ञ एलेक्सेई जखारोव ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा, रूस-चीन-पश्चिम के रिश्तों पर इसके प्रभाव, ब्रिक्स, रक्षा संबंधों, तेल व्यापार और वैश्विक रणनीति पर राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत की।
एलेक्सेई जखारोव ने कहा, "यह दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक विशेष भूराजनीतिक समय में हो रहा है, जब एक ओर रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन में शांति प्रस्तावों पर गहन बातचीत चल रही है। वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों से संबंधित कई मुद्दे हैं।"
उन्होंने कहा, "इस दौरे का भविष्य में क्या प्रभाव होगा? यह आवश्यक है क्योंकि भारत अगले साल ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा। यह समूह अब विस्तार कर रहा है और निश्चित रूप से रूस उन देशों में से एक है जो ग्लोबल साउथ में अधिक साझेदारों को शामिल करने में रुचि रखता है। यह दौरा इस बात का संकेत है कि रूस भारत जैसे साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर है।"
डिफेंस इंपोर्ट पर जखारोव ने कहा, "भारत की विविधता की नीति एक निरंतर, दीर्घकालिक प्रयास है। यह हाल ही में शुरू नहीं हुई है। रूस अच्छी तरह जानता है कि भारत हथियारों के एक स्रोत पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि तेल शिपमेंट बढ़ाने में कई चुनौतियाँ हैं और हाल ही में अमेरिकी बैन से रूस के लिए स्थिति चिंताजनक है। लेकिन अब, रूस इन प्रतिबंधों के अनुरूप खुद को ढालने और नई सप्लाई चेन बनाने की कोशिश कर रहा है।
पुतिन के इस दौरे को पश्चिमी दुनिया कैसे देखती है? इस बारे में जखारोव ने कहा, "दोनों नेताओं के बीच निकटता और भारत-रूस के बीच संबंधों को लेकर पश्चिमी देशों में चिंता है। भारत ने हाल के बैन के बावजूद बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीदा है, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को सहायता मिलती है।"
जखारोव ने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिति अधिक गंभीर है। इस क्षेत्र में आर्थिक दृष्टि से पूर्वी समुद्री गलियारे जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पर चर्चा होती है। हमें इन भौगोलिक स्थानों को अलग करना चाहिए।