क्या राष्ट्रपति भवन में पीबीजी की डायमंड जुबली का समारोह एक ऐतिहासिक पल था?

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क्या राष्ट्रपति भवन में पीबीजी की डायमंड जुबली का समारोह एक ऐतिहासिक पल था?

सारांश

राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीबीजी को डायमंड जुबली सिल्वर ट्रम्पेट और बैनर प्रदान किया। इस सम्मान के पीछे 75 वर्षों की सेवा का गौरव है। जानिए इस विशेष अवसर की प्रमुख बातें और इतिहास।

Key Takeaways

  • पीबीजी की 75 वर्षों की सेवा का महत्व।
  • डायमंड जुबली सिल्वर ट्रम्पेट का सम्मान।
  • 'वीराट' की विशेष उपस्थिति।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का प्रेरणादायक उद्बोधन.
  • भारतीय सेना की समृद्ध परंपराएं.

नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति अंगरक्षक (पीबीजी) को डायमंड जुबली सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किया।

यह सम्मान पीबीजी को उसकी 1950 में राष्ट्रपति अंगरक्षक के रूप में नामित होने के बाद 75 वर्षों की गौरवशाली सेवाओं की मान्यता में दिया गया।

समारोह के दौरान 2022 में सेवा से संन्यास लेने वाला 'वीराट', कमांडेंट का घोड़ा भी विशेष रूप से मौजूद रहा। संन्यास के बाद पीबीजी ने 'वीराट' को अपने साथ अपनाया हुआ है। यह सैनिकों और उनके घोड़ों के बीच गहरे संबंध का प्रतीक माना जा रहा है।

राष्ट्रपति कार्यालय ने एक पोस्ट में लिखा, "राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति गार्ड को डायमंड जुबली सिल्वर तुरही और तुरही का झंडा भेंट किया। यह सम्मान 1950 में रेजिमेंट को पीबीजी का दर्जा मिलने के बाद से 75 वर्षों की उनकी शानदार सेवा के लिए दिया गया है।"

गौरतलब है कि 26 जनवरी 2022 को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'वीराट' को स्नेहपूर्वक थपथपाया था।

इस अवसर पर संक्षिप्त उद्बोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि हमें राष्ट्रपति अंगरक्षक पर गर्व है। उन्होंने पीबीजी को उनकी पेशेवर उत्कृष्टता और सर्वोत्तम सैन्य परंपराओं के पालन के लिए बधाई दी। उन्होंने विश्वास जताया कि इस सम्मान के साथ एक बड़ी जिम्मेदारी भी जुड़ी है, जिसे अंगरक्षक पूरी निष्ठा से निभाएंगे।

राष्ट्रपति अंगरक्षक भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है, जिसे वर्ष 1773 में गवर्नर-जनरल बॉडीगार्ड (बाद में वायसराय बॉडीगार्ड) के रूप में स्थापित किया गया था। 27 जनवरी 1950 को इसका नाम बदलकर राष्ट्रपति अंगरक्षक कर दिया गया।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई 1957 को राष्ट्रपति अंगरक्षक को अपना सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किया था। खास बात यह है कि पीबीजी भारतीय सेना की एकमात्र ऐसी रेजिमेंट है, जिसे दो 'स्टैंडर्ड्स' रखने की अनुमति है: राष्ट्रपति का स्टैंडर्ड ऑफ बॉडीगार्ड और रेजिमेंटल स्टैंडर्ड ऑफ द पीबीजी।

Point of View

बल्कि भारतीय समाज में सैन्य सम्मान और गौरव का प्रतीक भी है।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

पीबीजी के बारे में जानकारी क्या है?
राष्ट्रपति अंगरक्षक (पीबीजी) भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है, जिसे 1773 में स्थापित किया गया था।
डायमंड जुबली सिल्वर ट्रम्पेट का क्या महत्व है?
यह ट्रम्पेट पीबीजी की 75 वर्षों की शानदार सेवा का प्रतीक है।
'वीराट' घोड़े का क्या महत्व है?
'वीराट' कमांडेंट का घोड़ा है जो सैनिकों और उनके घोड़ों के बीच के गहरे संबंध का प्रतीक है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने समारोह में क्या कहा?
उन्होंने पीबीजी को उनकी पेशेवर उत्कृष्टता और सर्वोत्तम सैन्य परंपराओं के पालन के लिए बधाई दी।
पीबीजी को दो 'स्टैंडर्ड्स' रखने की अनुमति क्यों है?
यह विशेषता इसे अन्य रेजिमेंट से अलग बनाती है और इसकी विशिष्टता को दर्शाती है।