क्या राहुल गांधी के विदेशी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात न होने का मामला उनकी निजी पीड़ा है?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की विदेश प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात न होने की पीड़ा व्यक्तिगत है।
- जदयू प्रवक्ता ने राजनीतिक संबंधों का इतिहास बताया।
- विदेश मंत्रालय राहुल गांधी के आरोपों का उत्तर देगा।
- बिहार में 'विकसित बिहार' का लक्ष्य है।
- राजनीतिक विवादों का ताजगी से सामना होना चाहिए।
पटना, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने गुरुवार को राहुल गांधी के द्वारा विदेशी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात न होने के आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विदेशी प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रम में आपको शामिल नहीं किया जा सकता है, यह आपकी व्यक्तिगत पीड़ा हो सकती है, लेकिन यह देश के नागरिकों की पीड़ा नहीं है।
जदयू प्रवक्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष के नेता थे, तब संबंध बेहतर थे और इसका उदाहरण यह है कि नेता प्रतिपक्ष संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करने गए थे। आज विपक्ष के ऐसे नेता हैं, जो विदेशों में जाकर भारत की आर्थिक और सामाजिक नीतियों की आलोचना करते हैं।"
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय इस बात का जवाब देगा कि राहुल गांधी को विदेश का प्रतिनिधिमंडल क्यों नहीं मिलना चाहता था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार विधानसभा में प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देने पर नीरज कुमार ने कहा, "अगर बिहार 'विकसित बिहार' की श्रेणी में खड़ा होगा, तो इस उम्मीद के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी और उनका धन्यवाद किया।"
इस दौरान, बिहार विधानसभा में विपक्षी सदस्यों के वॉकआउट पर नीरज कुमार ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सदन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाए। नीरज कुमार ने कहा, "सदन में विपक्ष को सरकार का जवाब सुनना नागवार गुजर रहा है। कारण स्पष्ट है, विधान मंडल के विपक्षी नेता लापता होते हैं तो सवाल पूछना शुरू कर दिया जाता है। इसी कारण विपक्षी सदस्यों ने वॉकआउट किया।"
जदयू प्रवक्ता ने 'बाबरी मस्जिद' विवाद को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि देश में मस्जिद और इबादतगाह बाबर के नाम पर नहीं हैं। बाबरी मस्जिद का नाम लेकर लोग इसे सियासत का मुद्दा बना रहे हैं।