क्या राहुल गांधी गंभीर नेता नहीं हैं, क्या वे संसद सत्र के दौरान मौज करने के लिए विदेश जा रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की विदेश यात्रा पर भाजपा का हमला
- संसद सत्र के दौरान सांसदों की उपस्थिति का महत्व
- राजनीतिक नेताओं की जिम्मेदारियां
मुंबई, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के विदेश यात्रा को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने तीखा हमला बोला है। भाजपा विधायक राम कदम ने सोमवार को राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे मौज करने के लिए विदेश जा रहे हैं।
राम कदम ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "राहुल गांधी कभी भी एक गंभीर राजनेता के रूप में नहीं उभरे। वर्तमान में शीतकालीन सत्र चल रहा है। इस सत्र में देश भर से विभिन्न सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन राहुल गांधी अब मौज के लिए विदेश जा रहे हैं। हर सांसद को सत्र का इंतजार होता है ताकि वे सदन में आकर अपने मुद्दों को रख सकें, लेकिन राहुल गांधी कभी गंभीरता का परिचय नहीं देते। उनके अंदर इसकी काबिलियत नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "जब भी राहुल विदेश जाते हैं, वहां भारत की आलोचना करते हैं। जिस देश में वे रहते हैं, उसी देश की विदेश में जाकर निंदा करते हैं। उनका विदेश जाना उनकी अपनी इच्छा है, लेकिन विदेश की धरती से मां भारती का अनादर नहीं होना चाहिए।"
राम कदम ने कांग्रेस की रैली में पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक नारों पर कहा, "पीएम मोदी की छवि न केवल देश में बल्कि विश्व स्तर पर एक विश्व नेता के रूप में है। यही कारण है कि कांग्रेस के नेता हमेशा हार का सामना करते हैं। उनकी अभद्र वाणी के पीछे यही दर्द है।" यह कांग्रेस और उसके कार्यकर्ताओं की छोटी सोच को दर्शाता है। एक पुरानी कहावत है कि कौवे के शाप से गोमाता को कुछ नहीं होता। पीएम मोदी के साथ देश के करोड़ों लोगों की दुआ और आशीर्वाद है।"
महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी के हालिया बयान पर राम कदम ने कहा, "अबू आजमी हमेशा विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। देश के लिए बलिदान जाति या धर्म देखकर नहीं दिया जाता। इस देश से प्यार करने वाले हर व्यक्ति ने इसके लिए बलिदान दिया है।"
असल में, अबू आजमी ने कहा था कि औरंगजेब को इतिहास में एक अच्छे प्रशासक के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि औरंगजेब और छत्रपति संभाजी महाराज के संघर्ष में धर्म की कोई भूमिका नहीं थी, बल्कि यह सत्ताधिकार और जमीन के संघर्ष का परिणाम था। समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि वे जाति और धर्म के विभाजन में विश्वास नहीं करते।