क्या राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में एक साल पूरा किया? भाजपा नेताओं का बयान 'अयोग्य'।

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने एक वर्ष के दौरान कई राजनीतिक मुद्दों का सामना किया।
- भाजपा ने उन्हें 'अयोग्य' करार दिया है।
- 2024 में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं।
- भाजपा और कांग्रेस के बीच विचारधाराओं का बड़ा अंतर है।
- राजनीति में तुष्टिकरण का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
नई दिल्ली, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राहुल गांधी की नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्ति को पिछले महीने एक वर्ष पूरा हुआ। इस अवसर पर कांग्रेस ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा किया, जिसके बाद भाजपा के नेताओं ने उनकी इस भूमिका के लिए उन्हें 'अयोग्य' करार दिया।
पिछले वर्ष में भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, और इस दौरान राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और विपक्ष की भूमिका पर भाजपा नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
गुजरात के भाजपा प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने टिप्पणी की, "पिछले एक साल में देश का राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल गया है। जब लोकसभा चुनाव से पहले 'इंडी' गठबंधन की बैठक हुई थी, तब यह धारणा बनी थी कि भाजपा हार गई है या एनडीए कमजोर हो रहा है। लेकिन पिछले एक साल के चुनाव परिणामों ने लोगों के फैसले को स्पष्ट कर दिया है।"
उन्होंने आगे कहा, "देश की जनता ने दिखा दिया है कि दोनों पक्षों की राजनीति और विचारधाराओं में क्या अंतर है। उनके सभी नेताओं को लगता है कि तुष्टिकरण की राजनीति से डूबती नैया को बचा सकते हैं। इसी वजह से उनके नेता तुष्टिकरण में जुट गए हैं।"
पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता निशिथ प्रामाणिक ने कहा, "राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में एक वर्ष पूरा कर लिया है। मुझे लगता है कि जब तक वह यह समझना शुरू नहीं करेंगे कि संसद कैसे काम करती है, तब तक उनका पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।"
भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा, "राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं निभा सकते, वे केवल गड़बड़ी कर सकते हैं। वह संसद में सही ढंग से उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं।"
साल 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में अपनी स्थिति बनाई है। भाजपा ने 240 और एनडीए ने 293 सीटें जीतीं, जबकि 'इंडिया' ब्लॉक ने 232 सीटें हासिल कीं। इससे पहले 2019 में कांग्रेस ने सिर्फ 52 सीटें जीती थीं, और 2014 के चुनाव में पार्टी ने केवल 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
-- राष्ट्र प्रेस
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