क्या भाषा के आधार पर हिंसक घटनाएं महाराष्ट्र के लिए उचित नहीं हैं: विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर?
सारांश
Key Takeaways
- भाषा के आधार पर हिंसा समाज की एकता को खतरे में डाल सकती है।
- राजनीतिक पार्टियों को इस मुद्दे पर सजग रहना चाहिए।
- राहुल नार्वेकर ने आत्महत्या की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की।
- सकारात्मक सामाजिक संदेश फैलाने के लिए इवेंट्स महत्वपूर्ण हैं।
- हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
मुंबई, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने भाषा विवाद के चलते एक छात्र द्वारा आत्महत्या की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि भाषा के आधार पर हिंसक घटनाएं महाराष्ट्र के लिए अनुकूल नहीं हैं।
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर रविवार को मुंबई में आयोजित 8वीं डब्ल्यूएनसी नेवी हाफ मैराथन में शामिल हुए। इस कार्यक्रम के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि नेवी कमांड ने इस मैराथन का आयोजन किया है। सभी प्रतिभागियों ने बहुत उत्साह के साथ हिस्सा लिया है। उनका मानना है कि ऐसे इवेंट्स समाज में 'फिट इंडिया, हिट इंडिया' का संदेश फैलाने में मदद करते हैं, जो बेहद आवश्यक है।
इसी दौरान, छात्र के आत्महत्या की घटना पर राहुल नार्वेकर ने कहा, "मुझे लगता है कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
उन्होंने अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहा कि यदि समाज में भाषा, जाति और धर्म के आधार पर हिंसक घटनाएं होती हैं, तो यह भारत की एकता के लिए उचित नहीं है। नार्वेकर ने कहा, "राजनीतिक पार्टियों से अनुरोध है कि भाषा के आधार पर ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देना महाराष्ट्र के लिए ठीक नहीं है।"
यह टिप्पणी तब आई जब कल्याण में एक 19 वर्षीय छात्र ने हाल ही में आत्महत्या की। उसके पिता ने आरोप लगाया था कि लोकल ट्रेन में मराठी के बजाय हिंदी में बातचीत करने पर उसके साथ यात्रा करने वालों ने उसे परेशान किया और उस पर हमला किया।
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने टीएमसी के विधायक हुमायूं कबीर के 'बाबरी मस्जिद' संबंधी बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "सिर्फ राजकीय परिस्थिति के अनुसार कार्य करना पूरे देश के साथ समझौता है। यह देश के हित के साथ समझौता है। भारत में सभी को समान दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। इसलिए भारत की महानता को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं बेचना चाहिए।"