क्या राज ठाकरे ने हिंदी थोपने का विरोध किया?

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क्या राज ठाकरे ने हिंदी थोपने का विरोध किया?

सारांश

राज ठाकरे ने मुंबई में आयोजित एक रैली में भाषा विवाद पर कड़े शब्दों में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम किसी भी भाषा को थोपने की अनुमति नहीं देंगे और केवल महाराष्ट्र और मराठी के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया। आइए जानते हैं राज ठाकरे के इस भाषण के मुख्य बिंदु।

Key Takeaways

  • राज ठाकरे ने हिंदी थोपने का विरोध किया।
  • उन्होंने महाराष्ट्र की पहचान पर जोर दिया।
  • भाषाई शिक्षा पर सवाल उठाया।
  • राजनीतिक एजेंडे से परे, उन्होंने महाराष्ट्र की एकता की बात की।

मुंबई, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के बीच, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 'मराठी एकता' विषय पर मुंबई के वर्ली डोम में एक रैली को संबोधित किया। इस मौके पर राज ठाकरे ने कहा, "मैंने कहा था कि झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है।" हम 20 साल बाद एक मंच पर आए हैं। हमारे लिए कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। केवल महाराष्ट्र और मराठी हमारे लिए प्राथमिकता है।

राज ठाकरे ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हम शांत हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी से डरते हैं। मुंबई को महाराष्ट्र से कोई भी अलग नहीं कर सकता। हिंदी एक अच्छी भाषा है, लेकिन इसे थोपा नहीं जा सकता। हिंदी बोलने वाले लोग महाराष्ट्र में रोजगार की तलाश में आते हैं।

मनसे के अध्यक्ष ने कहा, "एक मंत्री मुझसे मिले और अपनी बात सुनाने को कहा। मैंने स्पष्ट कहा कि मैं सुनूंगा पर मानूंगा नहीं। मैंने उनसे सवाल किया कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में तीसरी भाषा क्या होगी? ये सभी हिंदी भाषी राज्य हमसे पीछे हैं, हम उनसे आगे हैं, फिर हमें जबरन हिंदी क्यों सीखनी पड़े? यह अन्याय है।"

उन्होंने सवाल किया कि तीन भाषा का फॉर्मूला कहां से आया? यह केवल केंद्र सरकार से आया है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ अंग्रेजी में है, किसी अन्य राज्य में ऐसा नहीं है। केवल महाराष्ट्र में ऐसा क्यों? जब महाराष्ट्र जागता है, तो दुनिया देखती है। मराठा शासन हिंदी भाषा से भी पुराना है। मेरे पिता और बाला साहेब ने भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई की थी। क्या आपने कभी उनके मराठी या महाराष्ट्र प्रेम पर सवाल उठाया?

राज ठाकरे ने कहा कि हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम जाते हैं तो हमारी मराठी पर सवाल उठते हैं। लालकृष्ण आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े हैं तो क्या उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाएं? हम हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं करेंगे। वे केवल मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहते हैं, यही उनका एजेंडा है। वे मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। अब वे यह मुद्दा उठा रहे हैं कि ठाकरे के बच्चे अंग्रेजी में पढ़े हैं। यह क्या बकवास है? कई भाजपा नेताओं ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की है, लेकिन किसी को उनके हिंदुत्व पर संदेह नहीं है।

उन्होंने कहा, "दक्षिण में स्टालिन, कनिमोझी, जयललिता, नारा लोकेश और सूर्या, सभी ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है। बालासाहेब और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है, लेकिन वे मातृभाषा मराठी के प्रति बहुत संवेदनशील थे। बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की, लेकिन उन्होंने मराठी भाषा से समझौता नहीं किया। किसी को भी मराठी को तिरछी नजर से नहीं देखना चाहिए।

वहीं, उद्धव ठाकरे ने मंच पर आते ही कहा, "राज ठाकरे ने बहुत कुछ बोल दिया, क्या मुझे कुछ बोलने की जरूरत है?"

Point of View

जो न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे देश में भाषाई पहचान की बहस को सामने लाता है। यह मुद्दा राजनीतिक हितों से परे है और हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों के प्रति सम्मान दिखाने की आवश्यकता है।
NationPress
22/07/2025

Frequently Asked Questions

राज ठाकरे का हिंदी थोपने के विरोध का मुख्य कारण क्या है?
राज ठाकरे का मानना है कि हिंदी को किसी पर थोपना अन्याय है और यह महाराष्ट्र की भाषाई पहचान को खतरे में डालता है।
राज ठाकरे ने किस रैली में यह बयान दिया?
राज ठाकरे ने यह बयान मुंबई के वर्ली डोम में 'मराठी एकता' पर आयोजित रैली में दिया।
क्या राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के बच्चों की शिक्षा पर भी सवाल उठाए?
हाँ, उन्होंने इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मराठी के प्रति सवाल उठाने की आलोचना की।