क्या राजस्थान में स्वदेशी जागरण मंच का 'स्वदेशी स्वावलंबन भारत अभियान' सफल होगा?

सारांश
Key Takeaways
- स्वदेशी जागरण मंच ने 'स्वदेशी स्वावलंबन भारत अभियान' शुरू किया है।
- यह अभियान स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने का प्रयास है।
- कार्यक्रम में कई स्थानीय हस्तनिर्मित उत्पाद प्रदर्शित किए गए।
- यह जनजातीय क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रासंगिक है।
- स्थानीय कारीगरों को रोजगार मिलेगा।
बांसवाड़ा, १५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के जनजातीय बहुल बांसवाड़ा जिले में स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने 'स्वदेशी स्वावलंबन भारत अभियान' का भव्य आगाज़ किया। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'वोकल फॉर लोकल' के संदेश को मजबूती प्रदान करने का प्रयास है।
हाल ही में पीएम मोदी की बांसवाड़ा यात्रा के दौरान दिए गए संदेश, "स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर ही देश का विकास संभव है", पर आधारित यह कार्यक्रम भारतीय विद्या मंदिर संस्थान, डायलाब रोड पर आयोजित हुआ। इसमें वागड़ अंचल के स्थानीय हस्तनिर्मित उत्पादों की स्टॉल्स लगाई गईं, जिसने हजारों लोगों को आकर्षित किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि विकास राज ने किया, जबकि अध्यक्षता संत रामप्रकाश महाराज (बड़ा रामद्वारा) ने की। स्वदेशी जागरण मंच के प्रांत संयोजक डॉ. संत कुमार सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
एसजेएम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सहयोगी संगठन है। इसकी स्थापना १९९१ में हुई और इसके बाद संस्था ने स्वदेशी आंदोलन को पुनर्जीवित किया। यह अभियान पूरे देश में चल रहा है, जिसमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। बांसवाड़ा जैसे जनजातीय क्षेत्रों में यह विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां आदिवासी समुदाय पारंपरिक हस्तशिल्प और जैविक उत्पादों से जुड़े हैं।
कार्यक्रम में दैनिक जरूरत की वस्तुओं की स्टॉल्स लगाई गईं, जो पूरी तरह राजस्थान और भारत में निर्मित हैं। कोई विदेशी ब्रांड यहां नहीं दिखा।
स्टॉल संचालिका पवित्रा शर्मा ने कहा, "पीएम मोदी की थीम 'स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ' पर यह कार्यक्रम हो रहा है। हमने अपनी स्टॉल लगाई है, जो शुद्ध स्वदेशी उत्पाद बेच रही है। इससे स्थानीय कारीगरों को रोजगार मिलेगा।"
वहीं, शिक्षक प्रभु लाल कटारा ने बताया, "यहां लोकल प्रोडक्ट है, हर किसी को अपनाना चाहिए। यहां कोई बाहरी सामान नहीं, सब राजस्थान में ही बन रहे हैं। स्वदेशी से हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत बनेगी।"
वागड़ अंचल के आदिवासी समुदाय ने भी उत्साह दिखाया। स्टॉल्स पर हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तन, हर्बल साबुन, जैविक तेल और पारंपरिक वस्त्र बिक्री के लिए रखे गए।
एक स्थानीय कारीगर ने कहा, "हमारे गांवों में बनी चीजें सस्ती और गुणवत्तापूर्ण हैं। अभियान से हमें बाजार मिलेगा।"
एसजेएम के प्रांत संयोजक डॉ. संत कुमार ने संबोधन में कहा, "यह अभियान जनजातीय क्षेत्रों में पीएम मोदी की थीम को जोर-शोर से फैलाएगा। 'वोकल फॉर लोकल' और 'स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ' से हम आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे। देशभर में इसका शानदार प्रभाव दिख रहा है। बीकानेर, विदिशा, और रायपुर जैसे स्थानों पर भी इसी तरह के कार्यक्रम सफल हुए।"