क्या भीलवाड़ा शहर ने पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए मिसाल पेश की है? 32 टन राहत सामग्री भेजी!

सारांश
Key Takeaways
- भीलवाड़ा ने पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए 32 टन राहत सामग्री भेजी।
- सामाजिक एकता और सहयोग की भावना को मजबूत किया गया।
- राहत सामग्रियों में खाद्य वस्तुएं और दवाइयाँ शामिल थीं।
- सांसद दामोदर अग्रवाल ने इस प्रयास की सराहना की।
- यह पहल आपदा के समय में समाज की एकजुटता को दर्शाती है।
भीलवाड़ा, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित बाढ़ पीड़ितों के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा शहर ने एकजुटता और मानवता का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है।
गुरुवार को गुरुद्वारा साहिब सिंधुनगर से दो ट्रकों में भरकर लगभग 32 टन राहत सामग्री पंजाब के लिए भेजी गई। सांसद दामोदर अग्रवाल ने इन ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस पहल ने न केवल आपदा से प्रभावित लोगों के लिए राहत का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि भाईचारे और सामाजिक एकता की मिसाल भी कायम की।
गुरुद्वारा साहिब के सचिव ऋषिपाल सिंह ने बताया कि पंजाब में हाल की भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। इस आपदा में जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ, फसलें नष्ट हो गईं और कई परिवार बेघर हो गए। इस संकट के समय में भीलवाड़ा के सिख समुदाय ने सभी समाज के सहयोग से महज दो दिनों में यह राहत सामग्री जुटाई। सामग्री में आटा, दाल, चावल, मसाले, शक्कर, दवाइयाँ, पानी की बोतलें और पशुओं के लिए चारा शामिल हैं। सभी वस्तुओं को व्यवस्थित रूप से किट में पैक किया गया, ताकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वितरण में सुविधा हो।
ऋषिपाल सिंह ने आगे कहा कि 30 से 32 टन राहत सामग्री दो ट्रकों में भरकर पंजाब भेजी गई है। इसके साथ ही, गुरुद्वारा सभा के कुछ सदस्य पंजाब जाकर वहां की स्थिति का जायजा लेंगे। उनका उद्देश्य यह जानना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में और क्या वस्तुएँ आवश्यक हैं, ताकि भविष्य में और सहायता भेजी जा सके।
सांसद दामोदर अग्रवाल ने सिख समुदाय के इस नेक प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “पंजाब में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण हुए नुकसान से प्रभावित लोगों की मदद के लिए भीलवाड़ा का सिख समुदाय आगे आया है। ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में सभी को एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। यह सामूहिक प्रयास सराहनीय है और यह दिखाता है कि आपदा के समय में समाज एकजुट होकर कितना बड़ा बदलाव ला सकता है।”
उन्होंने कहा कि इस पहल से सामाजिक एकता की भावना और मजबूत हुई। यह प्रयास न केवल पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत का साधन है, बल्कि यह भी दिखाता है कि विपदा के समय में एक शहर दूसरे राज्य के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कैसे खड़ा हो सकता है।